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राष्ट्रीय युवा दिवस : पहचान के मोहताज नहीं हैं युवा समाजसेवी सूर्यावत्स


Gidhaur.com (विशेष) : जब इंसान अकेले ही किसी कार्य को अंजाम देने लगता है तो आसपास के लोग यह कहकर उपहास उड़ाते हैं कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। लेकिन आज स्वामी विवेकानंद की जयंती यानि राष्ट्रीय युवा दिवस पर हम आपको एक ऐसे युवा सामाजिक कार्यकर्ता के बारे में बताने जा रहे हैं जो एकला चलो रे को अपना मंत्र बनाकर समाज में उम्मीद की एक नई किरण जला रहे हैं। बिहार का नक्सल प्रभावित एवं अतिपिछड़ा जमुई जिला जहाँ जीवनयापन के लिए लोग कई मुश्किलात का सामना करते हैं। इसी जमुई जिला के झाझा निवासी युवा सामाजिक कार्यकर्ता सूर्यावत्स आज जिलाभर में युवाओं के प्रेरणास्रोत बन गए हैं। सूर्यावत्स जमुई, झाझा एवं आसपास के क्षेत्र में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।
समाजसेवा के लिए छोड़ दी नौकरी
जीविकोपार्जन के लिए कभी निजी कंपनी में काम करने वाले सूर्यावत्स पर सामाजिक कार्यों में सक्रियतापूर्वक योगदान देने का ऐसा जूनून सवार हुआ कि उन्होंने विगत आठ वर्ष पूर्व अपनी नौकरी छोड़ दी और झाझा स्थित अपने घर पर ही रहने लगे।
गौ पालन को बनाया आजीविका का साधन
गांधीवादी विचारधारा पर चलने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ता सूर्यावत्स ने गौ पालन को ही अपनी आजीविका का साधन बना लिया। इनके पिता रेलवे में कार्यरत हैं एवं माता गृहणी हैं। परिवार में एक छोटे भाई, तीन बहनों और अपनी पत्नी व 2 बच्चों के साथ जीवन व्यतीत करने वाले सूर्यावत्स पर महात्मा गांधी के विचारों का विशेष प्रभाव है। उन्होंने गांधी के विचारों से प्रभावित होकर समाज सेवा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया।
समाज हित के लिए किये कई आंदोलन व अनशन
झाझा के गांधी चौक स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा को जब असामाजिक तत्वों को विखंडित कर दिया तो सूर्यावत्स उसके पुनर्निर्माण की मांग लेकर अनशन पर बैठ गए। बिजली बिल में बढ़ोतरी के खिलाफ, सभी को ससमय गैस की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने, झाझा को अनुमंडल एवं सिमुलतला व बोड़वा को प्रखंड बनाने की मांग को लेकर सूर्यावत्स ने कई आंदोलन एवं अनशन किये हैं। इनमें से कुछ मांगों को लेकर इनका आंदोलन आज भी जारी है।
चिकित्सकों द्वारा एमर्जेंसी रात्रि सुविधा न दिए जाने के विरोध में दिया धरना
झाझा के चिकित्सकों की मनमानी व विशेष परिस्थिति में भी मरीजों को रात्रि सेवा न दिए जाने से आक्रोशित होकर झाझा के दर्जनों नौजवानों को लेकर सूर्यावत्स ने जिला मुख्यालय जमुई में भी शांतिपूर्ण धरना दिया।
सामाजिक कार्यों में है विशेष योगदान
सामाजिक सत्कार्यों में सूर्यावत्स का विशेष योगदान है। भीषण ठंढ से बचाव के लिए वो हर साल वस्त्र दान की मुहीम चलाते हैं। हर घर से पुराने कपड़े इकठ्ठा कर उन्हें गरीब जरूरतमंदों तक पहुँचाने निकल पड़ते हैं। इसके अलावा शादी-विवाह व अन्य उत्सवों पर बचे खाने को इकठ्ठा कर भूखे गरीबों को देते हैं। साथ ही शिक्षा से वंचित नौनिहालों के लिए कलम-कॉपी संग्रहित कर उन्हें बांटते हैं। गर्मी के दिनों में सूर्यावत्स चलंत पनशाला के रूप में हाथ में बाल्टी और मग लिए झाझा के चौक-चौराहों पर राहगीरों की प्यास मिटाते नजर आ जाते हैं।
दो बार लड़ चुके हैं एमएलए चुनाव
सामाजिक कार्यों में सक्रीय सूर्यावत्स का रुझान राजनीति की ओर भी रहा है। वो झाझा विधानसभा से दो बार निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।
गांधी वेशभूषा है इनकी पहचान
सूर्यावत्स आज समाज में इतने लोकप्रिय हैं कि उन्हें बच्चा-बच्चा भी जानता है। गांधी को आदर्श मानकर उनकी तरह धोती पहने सूर्यावत्स तकरीबन जिलाभर के हर कार्यक्रमों में सम्मिलित होते हैं। सफ़ेद धोती धारण किये यह वेशभूषा उनकी पहचान बन गई है।
समाज को लाभ मिले, यही मेरा मकसद : सूर्यावत्स
सूर्यावत्स एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं। वो कहते हैं कि मेरा यह मकसद कि समाज को मेरे से यथासंभव लाभ मिले। सभी युवाओं को सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए तभी जन-जन का भला होगा।
सुशान्त साईं सुन्दरम
Gidhaur.com      |      12/01/2018, शुक्रवार

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