जानिए जमुई जिला के प्रथम साहित्यकार हास्य रसावतार पंडित जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी को - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

जानिए जमुई जिला के प्रथम साहित्यकार हास्य रसावतार पंडित जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी को


जमुई (विनय चतुर्वेदी), 21 फरवरी :
जमुई जिले के इतिहास के झरोखे में झांकने पर बहुत ऐसी बातें सामने आती है कि जिसे आज के समाज को उसका ज्ञान ही नहीं है। आज हम झरोखे में झांक कर देखते हैं :-

समय चक्र का अजीब खेल है पूर्व में भागलपुर जिला (सन 1904 तक) तत्पश्चात मुंगेर जिला (सन 1991 तक) अन्ततः वर्तमान में जमुई जिले का एक व्यवसायी (वह भी चपड़े का) देश का महानतम साहित्यकार ही न बन जाय प्रत्युत वह इतना महान साहित्यकार माना जाने लगे कि जिन दिनों हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग अपने चरम उत्कर्ष पर था, उसका सभपति भी चुन लिया जाए, आज के युग में अटपटी मालूम होगी। ये वह युग था जब हिन्दी साहित्य के धुरंधर, जैसे श्यामसुन्दर दास, बालकृष्ण भट्ट, भारतेंदु हरिश्चंद, सुभद्राकुमारी चौहान, श्रीधर पाठक, मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तम दास टंडन, शिवनन्दन सहाय के समकक्ष, सहित्य की सेवामें ग्राम मलयपुर निवासी हास्यरसावतार पंडित जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी (सन 1875 - 1939) व्यंग के कारण हिन्दी साहित्य में अपनी तूती बुलवाते रहे।

पंडित जी मलयपुर निवासी थे एवं जमुई नार्मल स्कूल एवं मुंगेर जिला स्कूल में अध्ययन करने के पश्चात, तत्कालीन हिन्दी के एक केंद्र कलकत्ते में अपने व्यवसाय के साथ हिन्दी सहित्य का साधना केंद्र बनाया। वही बाबू बालकृष्ण भट्ट के साथ मिल कर "भारत मित्र" का प्रकाशन शुरू कर संपादक के तौर पर हिन्दी भाषा उत्थान के लिए समर्पित रहे, साथ ही स्वतंत्रता संग्राम में अपने लेखन के द्वारा सहभागिता भी करते रहे। कलकत्ते में रहने के कारण बंगला साहित्य से प्रभावित थे। अतः उन्होंने अपनी कुछ रचनाएँ बंगला से हिन्दी अनुवाद के रूप में लिखीं। 

जगन्नाथ प्रसाद जी की उपलब्धियों का जिक्र करना आवश्यक है :-

* एफ०ए० (इंटरमीडिएट) फेल होने के बाबजूद उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय ने हिन्दी विभाग में "थर्ड पंडित" के पद पर नियुक्त किया

* मुंगेर जिले के तत्कालीन हिन्दी प्रेमी जिला मजिस्ट्रेट मिस्टर बेली के नाम से "बेली पुरस्कार" दो बार प्राप्त हुआ।

* सन 1919 में "बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन" के प्रथम अधिवेशन के सभापति बने।

* सन 1922 में "अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन" के लाहौर अधिवेशन के सभापति बने।

* सन 1925 में कुछ विशेष कारणवश कलकत्ता से वापस मलयपुर आगये।

* सन 1927 में "खैरा स्टेट" के मैनेजर नियुक्त हुए। वहाँ रहते हुए खैरा स्टेट और गिद्धौर स्टेट के परिसीमन का कार्य किया। सन 1933 में खराब स्वास्थ्य के कारण वहाँ की नौकरी छोड़ दी।

* तत्पश्चात उनका स्वास्थ्य गिरता चला गया और सन 1939 में गोलोकवासी हुए।

जमुई जिले के इतिहास के झरोखे पं जगन्नाथ प्रसाद जी चतुर्वेदी जी जिले के सर्वप्रथम प्रबुद्ध साहित्यकार, व्यवसायी और मैनेजर रहे। 
★★★★★★★★★★★★★★

******जमुई स्टेशन*****

पं जगन्नाथ प्रसाद जी चतुर्वेदी के एक दामाद "सर लक्ष्मीपति मिश्र" जो ब्रिटिश सम्राज्य के समय "ईस्ट इंडियन रेलवे" के पहले भारतीय चेयरमैन बने थे। सबसे पहले कलकत्ता से इलाहाबाद तक की रेलवे लाइन सन 1865 में बनी थी जो जमुई स्टेशन से पास हुई थी। तब जमुई स्टेशन का प्लेटफार्म नीचा था और बिल्डिंग भी पुरानी थी। इस पद पर रहते हुए बराबर अपनी ससुराल आते थे। उनकी स्पेशल बोगी आती थी जब ये उतर जाते थे तो वो बोगी झाझा चली जाती थी। नीचा प्लेटफार्म देख कर उन्होंने ही प्लेटफार्म ऊँचा तो कराया और स्टेशन की नई बिल्डिंग के साथ वेटिंग हाल बनवाया साथ ही एक नई लाइन गोदाम तक की बनवाई। जहाँ उनकी बोगी खड़ी करने की व्यवस्था की गई। 
महाराजा गिद्धौर से पं जगन्नाथ प्रसाद जी से व्यक्तिगत संबंध होने के कारण, राजा साहब के लिए कलकत्ता आनेजाने के लिए स्पेशल ट्रेन का संचालन सर एल०पी० मिश्रा जी ने करवाया था।

जमुई जिले के "इतिहास के झरोखे" की ये चर्चा 21वीं सदी के लिए सर्वथा उपयुक्त है।
★★★★★★★★★★★★★★

*****स्वतंत्रता संग्राम सेनानी*****

पं जगन्नाथ प्रसाद जी के बड़े पुत्र पं रमा बल्लभ चतुर्वेदी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। गांधी जी के आह्वाहन पर गुप्त सभाएं किया करते थे। सन 1941 में सरोजिनी नायडू अंग्रेजी शासन से छिपते छिपाते गुप्त रूप से चतुर्वेदी जी के घर मे छिपी थीं। उनकी अध्यक्षता में पतनेश्वर पहाड़ के समीप की बड़ी पहाड़ी पर गुप्त सभा हुई थी, अतः उस शिखर का नाम "सरोजिनी शिखर" बाद में कहलाया।
अंग्रेजों को जब खबर मिली तब रामबल्लभ जी एवं गाओ के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों अरेस्ट किया गया। अंग्रेजों के टोमियों ने खूब मारा पीटा, थूक कर चटवाया, गंदगी उठवाई और हथकड़ी डाल कर पूरे गांव में घुमाया। जब उन्होंने कुछ नहीं उगला तो उनको हजारीबाग जेल में भेज दिया गया। जहाँ से उन्होंने श्री जय प्रकाश नारायण को भगाने में साथ दिया। वही उनकी दोस्ती तमाम क्रांतिकारी नेताओं हुई। उनमें एक थे राजेन्द्र प्रसाद जी, जिनके साथ घनिष्ट संबंध हो गया था। स्वतंत्रता के उपरांत आसाम के गवर्नर बनाने का प्रस्ताव भेजा, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। गांधी जी के विचारधारा के प्रबल समर्थक होने के कारण राजनीति में न बढ़ा कर "गांधी स्मारक के प्रांतीय अध्यक्ष बने।तत्पश्चात अखिल भारतीय नशाबंदी परिषद से आजीवन जुड़े रहे।

रामबल्लभ जी और टेंघारा के श्री शुक्रदास यादव घनिष्ट मित्र थे। इन दोनों ने मिल कर नूमर के जंगल मे "खादीग्राम" की स्थापना की। दोनों झोपड़ी बना कर वहीं रहते थे और जंगल साफ कर जमीन समतल कर खेती करते थे। सन 1956 में श्री विनोवा भावे जी ने उसी खादीग्राम में एक महीने का विश्राम किया था। उनसे मिलने भारत के बड़े बड़े नेता जैसे जवाहरलाल जी, जयप्रकाश जी, कृपलानी जी, यू०एन० ढेबर जी आदि आदि आये थे।

जमुई जिले के "इतिहास के झरोखे" की।स्मरणीय झांकी थी।


Post Top Ad