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अंदरूनी कलह में फंसी बिहार कांग्रेस!

Gidhaur.com (पटना) : बिहार कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी स्थाई अध्यक्ष बनने के लिए कौकस से घिर गए हैं. डॉ. अशोक चौधरी को अध्यक्ष पद से हटाने की जल्दबाजी में सोनिया गांधी द्वारा अध्यक्षीय प्रभार की अस्थाई जिम्मेदारी सौंपे जाने के साथ ही कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी के चक्कर में वो फंस गए.

महागठबंधन से नीतीश कुमार के निकल जाने के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी जब केन्द्रीय नेतृत्व के खिलाफ और नीतीश के पक्ष में लगातार बयान देने लगे तब जल्दबाजी में डॉ. अशोक चौधरी को हटाया गया और उपाध्यक्ष के नाते कौकब को अध्यक्षीय काम संभालने की जिम्मेदारी दी गई.

सूत्रों के अनुसार कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में खुद को प्रोजेक्ट करने वाले कौकब को आलाकमान की मंशा तब समझ में आ गई जब उनके द्वारा तैयार प्रदेश कमिटी की सूची पर मुहर नहीं लगाई गई.
दिल्ली से बैरंग लौटने के बाद कौकब कादरी अध्यक्ष बनने के लिए लॉबिंग करने लगे. जो कल तक अखिलेश प्रसाद सिंह को अध्यक्ष बनाने की लॉबी कर रहे थे, अब खुद ही एक दावेदार हो गए. स्वाभाविक तौर पर अखिलेश सिंह इनके विरोधी हो गए. इसी प्रयास में अखिलेश सिंह विरोधी कौकस में वे घिर गए. पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा व विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने इनकी पीठ थपथपा दी. यह समझा दिया गया कि अल्पसंख्यक होने के नाते आपका दावा पहले बनता है.

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष के मामले में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी शीघ्र फैसला लेंगे. इस पद के वैसे तो कई दावेदार हैं, लेकिन इनमें अखिलेश प्रसाद सिंह और प्रेमचन्द्र मिश्रा को सिरियस दावेदार माना जा रहा है. कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी कमजोर दिखती दावेदारी के बाद कौकब कादरी के साथ हो लिए हैं. 

बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ, कांग्रेस में राहुल युग आया, 2019 का चुनाव और सहयोगी दल राजद में आए संकट को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी को बिहार के मामले में निर्णय लेना है. कौकब कादरी ने खुद को इस कदर सक्रिय कर लिया है जिससे राहुल गांधी को प्रभावित किया जा सके. अब देखना है कि क्या प्रभारी के रूप में अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे कौकब कादरी पूर्णकालिक अध्यक्ष बन पाते हैं या नहीं.

अनूप नारायण
पटना      |       01/01/2018, सोमवार
www.gidhaur.com

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