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मंगलवार, 26 सितंबर 2017

पटना : माँ सिद्धेश्वरी काली मंदिर, तीन सौ वर्ष पूर्व तांत्रिकों ने की थी स्थापना

Gidhaur.com (धर्म) : पटना के बांसघाट स्थित माँ सिद्धेश्वरी काली मंदिर की स्थापना लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व श्मशान घाट पर अघोर पंथ के तांत्रिकों ने की थी। मंदिर के न्यास ट्रस्ट के सचिव शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि यहां पर दो महिलाएं सती हुई थीं, इसलिए इस स्थल का नाम दो-जरा पड़ा था, जो अब दुजरा बोला जाता है। शुरू में यह सती स्थान के नाम से विख्यात था। पहले जब शाम में आरती की घंटी बजती थी तो श्मशान में रहने वाले 15-20 भैरो मंदिर के पास चले आते थे और मां-मां करने लगते थे। आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करके वे चले जाते थे। यह सिलसिला अभी भी जारी है। दुजरा के समीप गंगा किनारे बांस के काफी पौधे होने के कारण इस घाट का नाम बांसघाट पड़ा। यहां पर सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

बांसघाट काली मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए न केवल राज्य से बल्कि देश के कोने-कोने से साधक आते हैं। खासकर पूर्वी भारत के असम, बंगाल एवं उड़ीसा से साधक आकर तंत्र साधना करते हैं।

वैष्णव पद्धति से होती है पूजा
बांसघाट काली मंदिर में नवरात्र के अवसर पर विशेष पूजा की जाती है। मंदिर में वैष्णव पद्धति से पूजा की जाती है। यहां महानिशा एवं संधि पूजा काफी भव्य तरीके से होती है।

माता का रोज नई साड़ी से शृंगार
पहले मां काली का वस्त्र में महीने में एक बार बदला जाता था। अब श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने के साथ व्यवस्था भी बदली है। अब रोज माता का नई साड़ी से शृंगार किया जाता है। हर शनिवार एवं मंगलवार को भक्तों की भीड़ उमड़ती है। साथ ही नवरात्र में विशेष आयोजन होता है।

दीघा-पटना रोड पर है
बांसघाट काली मंदिर दीघा-पटना रोड पर गंगा किनारे अवस्थित है। यहां पर पटना जंक्शन से गांधी मैदान होते हुए टेम्पो, बस या निजी वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं दानापुर से भी दीघा के रास्ते सड़क मार्ग से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

(अनूप नारायण)
पटना     |     26/09/2017, मंगलवार

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