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मैट्रिक परीक्षा 2018 : केन्द्र की दूरियों का विभाग ने नहीं रखा ख्याल

 [गिद्धौर | अभिषेक कुमार झा] :- 27 को बिहार मैट्रिक परीक्षा का अंतिम दिन है।परीक्षा के लगभग पांच दिन पहले से कड़े एवं सख्त प्रबंध करने को लेकर प्रशासन और विभाग दुरूस्त नजर आ रहे थे। पर शायद कड़ी व दुरूस्त व्यवस्था करने में विभाग को परीक्षा केन्द्र की दूरियों का अंदाजा नहीं रहा।
ऐसा कहना इसलिए लाजमी होगा क्योंकि इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में काफी दूर दराज के विद्यालयों का सेन्टर गिद्धौर प्रखंड दिया जा चूका है।
जिसको लेकर कई परीक्षार्थी चिन्तित नजर आए।हलांकि किसी तरह परीक्षार्थी तो परीक्षा में शामिल हो गये पर विभाग के थोड़ी सी अनदेखी में इन्हें कितनी परेशानियाँ उठानी पड़ी इसकी सूधी लेने वाला कोई नहीं ।
जो परीक्षार्थी दूर दराज से आने में स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे थे, वे भाड़े पर मकान लेकर अपने इम्तहान की तैयारी करते देखे गए। लिहाजा विद्यालय से परीक्षा सेन्ट्र दूर रहने से परीक्षार्थी शारीरिक, मानसिक, व आर्थिक दोहन होने को विवश हैं।
  • *लगाइए दूरियों का अंदाजा*
हलांकि गिद्धौर प्रखंड के महाराजा चन्द्रचूड विद्यामंदिर गिद्धौर एवं अखिलेश्वर हाई स्कूल रतनपुर में तीन विद्यालयों के परीक्षा केन्द्र बनाए गये हैं, पर मुद्दे की बात पर गौर करें तो रतनपुर हाई स्कूल में चकाई विद्यालय के छात्रों का सेन्टर दे दिया गया है जो कि चकाई से लगभग 60- 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वहीं इसी संदर्भ में गिद्धौर के हाई स्कूल में सतायन विद्यालय के छात्रों का सेन्टर पड़ा है जहां से उक्त केन्द्र लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है।
इतना ही नहीं गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत हाई स्कूल धोबघट के छात्रों का सेन्टर  सतायन दे दिया गया है।
परिणामतः छात्र रोजाना आवागमन करते हैं और कूछ छात्र ने वहीं आसापास भाड़े पर मकान ले रखा है।

  • *केन्द्र दूर पड़ने से सीधे जेब पर पड़ा असर*
गिद्धौर के दोनों परीक्षा केन्द्रों से निकल रहे परीक्षार्थियों से जब इस बारे में हमने पूछताछ की तो पता चला कि उनके घर से परीक्षा केन्द्र दूर रहने से उन्हें आने जाने में वाहन बूक कराना पड़ता है,कूछ लोग रोजाना आवागमन से बचने के लिए गिद्धौर में ही भाड़े के मकान में रह रहे हैं जिसका सीधा असर उनके जेब पर पड रहा है।


  • *जर्जर सड़क ने और बढ़ा दी फासले*  
एक दौर में एनएच 333 पर फर्राटा भरने वाली गाड़ियों की गति कूछ थम सी गई है। भला थमेगी क्यूँ नहीं सड़क से अधिक तो गड्ढे ने पांव पसार लिया है। लिहाजा नजदीक से रोजाना आने ज्ने वाले परीक्षार्थियों के लिए भी केन्द्र की दूरियां बढ़ा दी है। परिणामतः जिस सड़क पर 70 किलोमीटर दूरी तय करने में महज 1 घन्टे का समय लगता था आज वही दूरी तय करने में दिन का लगभग एक चौथाई समय लग जाता है।

  • *क्या कहना है परीक्षार्थियों के परिजन का*
गिद्धौर के दोनों परीक्षा केन्द्र के लगभग 100 गज के दायरे में खड़े अभिभावक बिरजू साह, अनमोल तांती, मनोज हस्दा, मखमल मूर्मू, अश्विन सिन्हा, सुरेश सिंह, संतो देवी, रेखा देवी, विक्रम मिश्रा, चन्द्रशेखर साव,शालिनि देवी, विनय शर्मा, सुधा कुमारी ने निष्कर्षतः बताया कि हमलोग अपने बच्चे को लेकर प्रतिदिन इस जर्जर से 50-60 किलोमीटर की दूरी तय कर परीक्षा दिलाने लाते हैं। पहले लोकल सेन्टर रहने से हमलोगों को परेशानी नहींग होती थी, पर अब रोजाना 60-70 किलोमीटर की दूरी तय करना हमलोगों के जेब पर भारी पड रहा है। इसके अतिरिक्त जब डेरा और भाड़े की मकान की तलाश करते हैं तॅ अप्रदाय राशि की मांग कर दी जाती है।लिहाजा रोजाना मेहनत मजदूरी करने वाले हम गरीब लोग सारा कार्य छोड़ अपने बच्चे के परीक्षा की व्यवस्था में लगे हैं।  ऐसी स्थिति में हमारे साथ बच्चे भी परेशान हैं।

  • डीईओ साहब की सुनिए   :-  हमारे टीम द्वारा यहां से केन्द्र का प्रस्ताव भेजा जाता है बाकी सेन्टर के एलोकेशन का काम बोर्ड ऑफिस करती है| जिस विद्यालय में सारी सुविधाएँ हैं, उन्हीं को केन्द्र बनाया गया है।                                                       -  विद्यानन्द सिंह
  •  जिला शिक्षा पदाधिकारी, (जमुई)
 (न्यूज़ डेस्क), 26/02/2018, सोमवार

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