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बांका : भागवत कथा का हुआ शुभारंभ, अध्यात्मिकता में डूबे धोरैयावासी


धोरैया (बांका) | अरुण कुमार गुप्ता】:-
गलती करने के बाद क्षमा मांगना मनुष्य का गुण है, लेकिन जो दूसरे की गलती को बिना द्वेष के क्षमा कर दे, वो मनुष्य महात्मा होता है।
उक्त बातें पैर पंचायत के डुमरजोर गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूूसरे दिन  सत्यप्रकाश महाराज जी ने कहा। इसके पूर्व सोमवार की संध्या भागवत कथा का उद्धघाटन काँग्रेस नेता सह दक्षिणी जिला परिषद प्रतिनिधी डाॅ पुष्पेन्द्र कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलीत कर किया। इस मौके पे उन्होंने कहा की भागवत कथा के श्रवण से ही मानव को मुक्ति मिल सकती है। इस तरह आयोजन से गांवों में शांति, खुशहाली का वातावरण कायम रहता है। 

कथावाचक ने कहा कि राजा परीक्षित ने राज्य को पाकर परिवार का त्याग कर दिया और इसके बाद राज्य का त्याग कर वन प्रस्थान कर गए। कर्मो का सार बताते हुए कथावाचक ने कहा कि अच्छे और बुरे कर्मो का फल भुगतना ही पडता है। उन्होंने भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए कहा कि भीष्म पितामह 6 महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे थे। जब भीष्म पितामह वाणों की शैय्या पर लेटे थे तब वे सोच रहे थे कि मैंने कौन सा पाप किया है जो मुझे इतने कष्ट सहन करना पड रहे है। उसी वक्त भगवान कृष्ण भीष्म पितामह के पास आते है। तब भीष्म पितामह कृष्ण से पूछते है कि मैंने ऐसे कौन से पाप किये है कि वाणो की शैय्या पर लेटा हूं पर प्राण नहीं निकल रहे है। तब भगवान कृष्ण ने भीष्म पितामह से कहा कि आप अपने पुराने जन्मों को याद करो और सोचो कि आपने कौन सा पाप किया है। भीष्म पितामह बहुत ज्ञानी थे। उन्होंने कृष्ण से कहा कि मैंने अपने पिछले जन्म में जरा सा भी पाप नहीं किया है। इस पर कृष्ण ने उन्हें बताते हुए कहा कि पिछले जन्म में जब आप राजकुमार थे और घोडे पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। उसी दौरान आपने एक नाग को जमीन से उठाकर फेंक दिया तो कांटों पर लेट गया था पर 6 माह तक उसके प्राण नहीं निकले थे। उसी कर्म का फल है जो आप 6 महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे है।