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मुजफ्फरपुर : पीपल के पेड़ की कटाई में प्रकट हुए थे बाबा गरीबनाथ



[पटना]     ~अनूप नारायण
बिहार में मुजफ्फरपुर का बाबा गरीबनाथ मंदिर भक्तों के आस्था और विश्वास का केन्द्र है. मनोकामना लिंग के रूप में प्रचलित बाबा की महिमा की ख्याति बिहार ही नहीं बल्कि यूपी और पड़ोसी देश नेपाल तक पहुंच चुकी है.लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले मुजफ्फरपुर शहर के मध्य में घना जंगल था. माना जाता है कि किसी जमींदार ब्राह्मण के कब्जे में इलाका था लेकिन जंगल बेचने के बाद जब सात पीपल के पेड़ में से अंतिम पेड़ की कटाई हुई तो बाबा प्रकट हुए.आज भी कुल्हाड़ी लगे बाबा का मनोकामना लिंग भक्तों के पूजा-अर्चना के लिए उसी स्वरूप में मौजूद है. साल 2006 में धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा अधिग्रहण करने के बाद मंदिर का आधुनिक स्वरूप सामने आया है. माना जाता है कि साल 1952 में मंदिर का नाम बाबा गरीबनाथ धाम रखा गया जब बेबस और लाचार के कन्या के विवाह के दिन अपने-आप सारे सामानों की आपूर्ति हो गई.

मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विनय पाठक बताते हैं कि बाबा गरीबनाथ मंदिर में सोनपुर के पहलेजा घाट से गंगा जल चढ़ाने की परंपरा सालों से रही है. 80 किलोमीटर की यात्रा तय कर कांवरिये सावन की हरेक सोमवारी को बाबा का जलाभिषेक करते हैं.शनिवार और रविवार को ही श्रद्धालु बाबा का दर्शन कर पहलेजा घाट के लिए रवाना होते हैं उसके बाद कांवर से जल भरकर बाबा को जलाभिषेक कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं. पंडितों के अनुसार इस साल सावन के पहले और अंतिम सोमवार को सर्वसिद्धियोग लगा है जो 50 साल बाद लगा है जिससे भक्तों की मनोकामना शीघ्र पूरा होगी.बाबा की महिमा भक्तों के बीच इस तरह फैल रही है कि आम से लेकर खास तक रोजाना पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. माना जाता है कि सबसे अधिक सत्यनारायण पूजा बाबा गरीबनाथ मंदिर में होती है. औसतन दो सौ सत्यनारायण पूजा के अलावा नन्दी के कान में फूंक कर मनोकामना मांगने की भी अदभुत धार्मिक परंपरा यहां हैं.बाबा गरीबनाथ मंदिर आय के मामले में बिहार में तीसरे स्थान पर है. मंदिर से होने वाली आय से डे केयर सेंटर,विकलांगों सेवा केन्द्र फिलहाल चला रहा है. शहर के बीचोबीच बाबा का मंदिर फिलहाल साढ़े चार कठ्ठे में फैला है.