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भक्ति की जीवंत मिशाल हैं कृष्णा बम,38 सालों से हर सोमवार करती हैं जलाभिषेक

[न्यूज डेस्क | रवि मिश्रा]

कृष्णा बम किसी परिचय का अब मोहताज नहीं रहीं,ये न कोई मंत्री है न ही किसी ब्यूरोक्रेट्स से ताल्लुक रखने वाली,इनका वास्ता है तो बस एक बाबा बैद्यनाथ,जिसे ये एक मात्र सहारा बताती है। इनके लबों से निकले बोलबम के नारे और उत्साह से साफ़ पता चलता है कि अगर मन में सच्ची लगन और उमंग हो तो बाबा उनका सहारा बन भक्तों का बेड़ा पार लगाते हैं।

»  कृष्णा बम और उनकी यात्रा

कृष्णा बम मूलतः मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं और एक 2013 में ही बतौर शिक्षक सेवानिवृत्त हुई हैं। आपको बता दें कि 2006 में वे सुल्तानगंज से देवघर दंडवत देते हुए बाबा बैद्यनाथ को जलाभिषेक की थीं। ये इनका डाकबम के रूप में  37वां साल है। कृष्णा बम अपने धार्मिक आस्था और धर्म यात्राओं के रूप में अपना परिचय बना चुकी हैं।
वे बोलबम के साथ ही कई धर्म स्थानों का परिभ्रमण कर चुकी हैं खास बात यह है की वे पैदल और साइकिल यात्रा के लिए जानी जाती हैं।
उन्होंने मुज़फ्फरपुर से अमरनाथ,नर्मदा से जल लेकर उज्जैन महाकाल की यात्रा,मुजफ्फरपुर से वैष्णों देवी की यात्रा भी साईकल से की। वहीं मुजफ्फरपुर से जनकपुर भी साइकिल से ही गयीं।
दूसरी तरफ गुवाहाटी से कामाख्या मंदिर तक का सफ़र पैदल चल कर पूरा किया। आश्चर्यजनक बात है कि गंगोत्री से काँवर लेकर रामेश्वरम तक की भी पैदल यात्रा मात्र 86 दिनों में ही पूरा कर लिया।
ये आस्था का ही मिशाल है कि लगातार 6 वर्षों तक इन्होंने नवरात्रा में अपने सीने पर कलश को बिठाकर अनुष्ठान जारी रखा।

» 24 घंटे में तय करती हैं 105 km का सफ़र

डाक बम की यात्रा भक्ति में शक्ति की अनोखा प्रमाण है,ओलंपिक से मैराथन दौड़ तक एक सीमा निर्धारित होती हैं। उससे भी बड़ी सीमा है बोलबम का डाकबम। 24 घंटे की बाध्यता में एक पुरुष का की चुनौतियों को समझा जा सकता है मगर एक स्त्री होने के नाते 24 घंटे की बाध्यता की कठिनाइयों को महसूस करना भी असमंजस सा लगता है,ये भक्ति की ही महिमा है। जिसके बल पर भक्त सबल होकर  बाबा अजगैबिनाथ से जल उठा बैद्यनाथ को जलाभिषेक कराते हैं, कृष्णा बम की भी पहचान मैराथन में दौड़ते सबसे तेज़ धावक के रूप में होती है।

» कृष्णा के करिश्मे को देखने लगती है हुजूम

हर श्रावणी मेले में कृष्णा बम का बेसब्री से इंतज़ार रहता है,लोगों में  कृष्णा बम को देखने की इल्तिज़ा होती है और हजारों की हुजूम में लोग इसका साक्षी बनते हैं। कृष्णा बम को लोग माता बम भी कह के पुकारते हैं।
वे सावन के हरेक रविवार को सुल्तानगंज से जल उठाकर चलती हैं जहाँ से रास्ते में उनके दर्शनार्थ रहवासियों और कांवरियों में उत्सुकता देखी जाती है।
दर्शनार्थियों में यह उम्मीद होती है की माता बम रविवार को नियंत्रण कक्ष डाक प्रमाण पत्र लेने आएँगी और इसी कारण से लोग कक्ष के आसपास काफी संख्या में जुट जाते हैं। इतना ही नहीं गंगा घाट से देवघर तक माता बम के इंतज़ार में भक्त घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। जगह-जगह दर्शन के लिए इकट्ठा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिसकर्मी को काफी मसक्कत भी करनी पड़ती है।
आपको यह भी बता दें कि हर रविवार को जल उठाने से पहले वे डॉक्टर रामकुमार गुप्ता के आवास पर ठहरती हैं जहाँ लोगों की भीड़ पहले से ही जमी रहती है।



»  [कहते हैं माता बम]

इसबार के श्रावणी मेले में माता बम के व्यक्तव्यों के अनुसार शिव भक्ति से बढ़कर इस संसार में दूसरी कोई चीज नहीं है। हर घर में शिवलिंग की पूजा होनी चाहिए। जो बाबा भोलेनाथ की पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि सुरक्षा का पुख़्ता इंतज़ाम किया गया है महिला पुलिसकर्मी का सहयोग अच्छा है।
उन्होंने काँवरिया मार्ग पर सड़क के दोनों ओर पेड़ लगवाने का भी प्रस्ताव रखा।



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