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संजय दत्त की नानी जद्दनबाई की तमन्ना थी भोजपुरी फिल्म बनाने की

-भोजपुरी से गहरा लगाव था जद्दनबाई का
-कन्हैया लाल भी चाहते थे भोजपुरी फिल्म बनाना
-पहली भोजपुरी फिल्म बनाने की श्रेय नासिर हुसैन को मिला
-पटना की कुमकुम ने किया था फिल्म में लीड रोल

Gidhaur.com (मनोरंजन) : भोजपुरी में पहली फिल्म बनाने का श्रेय भले ही नासिर हुसैन और कुमकुम को जाता है, किंतु सच यह है कि इसका वास्तविक श्रेय नरगिस की मां, सुनील दत्त की सास और संजय दत्त की नानी जद्दन बाई को जाता है. इस भाषा में फिल्म
बनाने का पहला प्रयास उन्होंने ही किया था, हालांकि इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली थी. भोजपुरी में फिल्म बनाने का श्री गणेश करने वाले नासिर हुसैन और कुमकुम दोनों ही बिहार के ही थें, जद्दन बाई बनारस की थी.

जद्दनबाई को भारतीय सिनेमा की पहली महिला संगीतकार होने का श्रेय भी प्राप्त है. 1935 में पहली बार उन्होंने सीएम लुहार निर्देशित फिल्म ‘तलाश-ए-हक’ में संगीत दिया था. दूसरी महिला संगीतकार सरस्वती देवी थी. 1936 में हिमांशु राय द्वारा निर्मित और अशोक कुमार- देविका रानी अभिनीत फिल्म अछूत कन्या में सरस्वती देवी ने संगीत दिया था. कला के प्रति स्नेह जद्दनबाई को विरासत में मिला था. यही वजह रही कि उनकी बेटी नरगिस, बॉलीवुड में कम समय में ही अपनी अदाकारी से मशहूर हुईं. आज भी नरगिस बॉलीवुड की प्रतिभाशाली कलाकारों में एक मानी जाती है.

    भोजपुरी जद्दनबाई की मातृभाषा थी. उन्हें ठुमरी गायन और नृत्य में महारत हासिल थी, लेकिन भोजपुरी भाषा के प्रति प्रेम ने ही मशहूर फिल्मकार महबूब खान को मजबूर किया था कि वर्ष 1943 में बनी फिल्म ‘तकदीर’ में जद्दनबाई की पसंद का एक गीत रखा गया. दरअसल फिल्म ‘तकदीर’ में जद्दनबाई की पसंद और इच्छा से मजबूर होकर भोजपुरी भाषा की एक ठुमरी रखी गई थी. वह गाना इतना पॉपुलर हुआ कि खुद जद्दनबाई और निर्माता महबूब खान को भी हैरानी हुई. इस एक गाने की लोकप्रियता ने जद्दनबाई को यह सोचने पर विवश किया कि फिल्म में एक भोजपुरी ठुमरी इतनी धूम मचा सकती है, तो अगर पूरी फिल्म भोजपुरी में हो, तो कितनी धूम मचेगी. अभिनेता भोजपुरी फिल्मों की दुनिया में बॉलीवुड के कई कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ऐसे अभिनेताओं में एक थे मशहूर चरित्र अभिनेता कन्हैया लाल. बॉलीवुड की कई हिन्दी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाने वाले कन्हैया लाल भी भोजपुरी क्षेत्र के ही रहने वाले थे. जद्दनबाई की भोजपुरी फिल्म बनाने के प्रयास में अभिनेता कन्हैया लाल ने भी बहुत सहयोग किया था. कन्हैया लाल भी मूलतः बनारस के ही रहने वाले थे तथा मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिष्ठित और विलक्षण कलाकार के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. यह अलग बात है कि जद्दनबाई और कन्हैया लाल, इन दोनों की भोजपुरी फिल्म बनाने की कसक अधूरी ही रह गई. इसके पीछे एकमात्र कारण उनकी निजी सीमायें और उम्रगत विवशताएं थीं. बहरहाल, जद्दनबाई की सोच को 1960 के दशक में आकार मिला जब पहली भोजपुरी फिल्म रिलीज हो पाई.

आज बड़ी संख्या में भोजपुरी की फिल्में बन रही हैं. इनमें से कुछेक को छोड़ दीजिए तो कई फिल्में तो अपनी लागत भी वसूल नहीं कर पाती हैं. लेकिन 1962 में जब पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मईया तोहे पियरी चढ़ईवो महज पांच लाख में बनी थी, लेकिन रिलीज होने के बाद इसने लोकप्रियता का ऐसा मुकाम हासिल किया, जिसका आज भी कोई मुकाबला नहीं है. इस फिल्म ने उस समय 75 लाख रुपए की कमाई की थी. लोगों ने इसे सिर आंखों पर बैठाया. लोकप्रिय भाषा और इससे संबंधित विषय पर बनी इस फिल्म देखने के लिए गांव-गांव से लोग बैलगाड़ियों से शहर के सिनेमा हॉलों में पहुंचते थे. इस फिल्म को हिट करने में इसके सुमधुर गीत और कर्णप्रिय संगीत का भी बड़ा योगदान था.

अनूप नारायण
02/07/2018, सोमवार

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