जहाँ एक ओर गाना 'लॉलीपॉप लागेलु' देश-विदेश में भोजपुरी का पर्याय बन चूका है, वहीं बिहारियों की ठेठ बोलचाल हमेशा चर्चा में रही है। देश के अन्य भागों में इसकी कॉपी कर मनोरंजन भी खूब किया जाता है, लेकिन बिहारी कभी इस बात का बुरा नहीं मानते। आइए नजर डालते हैं बिहारियों के कुछ मनोरंजक अंदाज-ए-बयां पर...
- तखनिए से ई माथा खराब कैले है।- छुच्छे काहे खाना खा रहे हो।
- बलवा काहे नहीं कटवाते हो बे।
- मिज़ाज लहरा दिया।
- तनी-मनी तरकारी दे दो।
- सत्तू घोर के पी लो।- ए मरदे, ई का कह रहे है?
- अभरी गेंद ऐने आया तो ओने बीग देंगे।- बड़ी भारी है- दिमाग में कुछो नहीं ढ़ूंक रहा है।
- बिस्कुटिया चाय में बोर-बोर के खाओ जी।
- मिज़ाज लहरा दिया।
- तनी-मनी तरकारी दे दो।
- सत्तू घोर के पी लो।- ए मरदे, ई का कह रहे है?
- अभरी गेंद ऐने आया तो ओने बीग देंगे।- बड़ी भारी है- दिमाग में कुछो नहीं ढ़ूंक रहा है।
- बिस्कुटिया चाय में बोर-बोर के खाओ जी।
- गइल भंइसिया पानी में।
- काम लटपटा गया है।
- अऊर सुनिये...
- बरसतवा में छतवा चुवे लगता है मरदे!- कपड़वा पसार दो।- नरभसाइये मत।
- बदमाशी करबे त नाली में गोत देबौ।
- मार मार के भुरकुस छोड़ा देंगें।
- जादे बोलियेगा तो मुंहवे नोच लेंगें।
- बरसतवा में छतवा चुवे लगता है मरदे!- कपड़वा पसार दो।- नरभसाइये मत।
- बदमाशी करबे त नाली में गोत देबौ।
- जादे बोलियेगा तो मुंहवे नोच लेंगें।
सोशल मीडिया पर ऐसी और भी कई भावाभियक्तियां हैं, जिनके लिए बिहार में 'खास' शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं। बिहार के लोगों की भाषा में कहें तो...
- हमलोग के यहां idiot नहीं, "बकलोल"होता है।
- हमलोग के यहां idiot नहीं, "बकलोल"होता है।
- हमारे यहां कोई uncivilized नहीं होता, बस "चुहाड़" कहलाता है।
- हमलोग कटने पे बोरोलीन लगाते हैं, क्यूंकि dettol से "परपराने" लगता है।
- हमलोग जान से नहीं ना मारते हैं, "मार के मुआ'' देते हैं।
- हमलोग का bad day नहीं होता, बस "जत्रा खराब'' होता है।
- हमारे लिए train चलती नहीं, "खुल" जाती है।
- हमलोग show off नहीं, "सुखल फुटानी" करते हैं।
- यहां पत्नी नहीं ''मेहरारू'' होती है।
- हमलोग का कपड़ा धोया नही, "फिंचा" जाता है।
- हमलोग ताकत नहीं, "बरियारी" दिखाते हैं।- बिहार का मच्छर काटता नहीं, ''भम्होर'' लेता है।
...और अंत में बिहारवासियों का आत्मविश्वास देखिए। बिहार व यहां के लोगों का कोई कितना भी मजाक उड़ा ले, वे आत्मविश्वास नहीं खोते। कहते हैं कि वे प्रतियोगिता में विश्वास नहीं रखते, ''काहे कि कोई सकेगा नहीं।''
~गिद्धौर | 16/07/2017, रविवार
www.gidhaur.com
- बिहार का कुतवा काटता नहीं, ''हबक'' लेता है।- हमलोग गला दबाते नहीं "नट्टी टीप'' देते हैं।
- हमलोग awsome काम नहीं करते, "गर्दा उड़ा'' देते हैं।- हमारे यहां बच्चा नहीं, "बुतरू" होता है।- हमलोग tension में नहीं आते, बस "हदस" जाते हैं।- हमलोग का bad day नहीं होता, बस "जत्रा खराब'' होता है।
- हमारे लिए train चलती नहीं, "खुल" जाती है।
- हमलोग show off नहीं, "सुखल फुटानी" करते हैं।
- यहां पत्नी नहीं ''मेहरारू'' होती है।
- हमलोग ताकत नहीं, "बरियारी" दिखाते हैं।- बिहार का मच्छर काटता नहीं, ''भम्होर'' लेता है।
...और अंत में बिहारवासियों का आत्मविश्वास देखिए। बिहार व यहां के लोगों का कोई कितना भी मजाक उड़ा ले, वे आत्मविश्वास नहीं खोते। कहते हैं कि वे प्रतियोगिता में विश्वास नहीं रखते, ''काहे कि कोई सकेगा नहीं।''
~गिद्धौर | 16/07/2017, रविवार
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