बिहार के मुज़फ्फरपुर जिला की रहने वाली कृष्णा बम श्रावणी मेले में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वो जब सुल्तानगंज से जल भर कर देवघर के लिए निकलती हैं, तो पूरे रास्ते में उनके दर्शन करने के लिए लोगों का हुजूम लग जाता है। रुपया 100 का रिचार्ज, क्लिक करें और अपना मोबाइल नंबर डालें बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर की रहने वाली कृष्णा सिर्फ़ मां कृष्णा बम ही नहीं, बल्कि लोगों के लिए ये आस्था का प्रतीक भी बन गई हैं। उन्हें देखने और उनसे आर्शीवाद लेने के लिए रास्ते में हजारों लोग पंक्तिबद्ध खड़े रहते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को कृष्णा 'डाक बम' के रूप में देवघर पहुंचती हैं और बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करती हैं। पूरे कांवरिया पथ पर अब कृष्णा बम की खास पहचान बन गई है। वो सुल्तानगंज में जल भरने के बाद 12 से 14 घंटों में देवघर पहुंच जाती हैं।

उनके दर्शन के लिए आधा घंटा पहले से ही कांवरिया मार्ग पर दोनों तरफ लोग पंक्तिबद्ध खड़े हो जाते हैं और बेसब्री से उनके दर्शन का इंतजार करते हैं। यहां तक कि उनके पैर छूने के लिए भी लोग लालायित रहते हैं। भगदड़ से बचने के लिए अब उनकी सिक्योरिटी में पुलिस लगी रहती है। कांवर यात्रा को लेकर कृष्णा बम कहती हैं कि विवाह के बाद उनके पति नंदकिशोर पांडेय हैजा से पीड़ित हो गए थे। दिनों-दिन उनकी हालत खराब होती जा रही थी। तब उन्होंने संकल्प लिया कि पति के ठीक होने पर वह कांवर लेकर हर साल सावन में बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करेंगी। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुन ली और तभी से वे हर साल यहां पूरे श्रद्धाभाव से जलाभिषेक करने आती हैं।
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37 वर्षों से लगातार सावन के प्रत्येक सोमवार को कृष्णा बम 12 से 14 घंटों में 105 किलोमीटर का सफर तय करके महादेव पर करती हैं जल अर्पण। इतना ही नहीं, साइकिल से वे 1900 किलोमीटर तक वैष्णो देवी की यात्रा भी कर चुकी हैं। साथ ही हरिद्वार से बाबाधाम, गंगोत्री से रामेश्वर और कामरूप कामाख्या तक साइकिल से ही यात्रा कर चुकी हैं कृष्णा बम।
(सुशान्त साईं सुन्दरम)
~गिद्धौर | 19/07/2017, बुधवार
www.gidhaur.com
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उनके दर्शन के लिए आधा घंटा पहले से ही कांवरिया मार्ग पर दोनों तरफ लोग पंक्तिबद्ध खड़े हो जाते हैं और बेसब्री से उनके दर्शन का इंतजार करते हैं। यहां तक कि उनके पैर छूने के लिए भी लोग लालायित रहते हैं। भगदड़ से बचने के लिए अब उनकी सिक्योरिटी में पुलिस लगी रहती है। कांवर यात्रा को लेकर कृष्णा बम कहती हैं कि विवाह के बाद उनके पति नंदकिशोर पांडेय हैजा से पीड़ित हो गए थे। दिनों-दिन उनकी हालत खराब होती जा रही थी। तब उन्होंने संकल्प लिया कि पति के ठीक होने पर वह कांवर लेकर हर साल सावन में बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करेंगी। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुन ली और तभी से वे हर साल यहां पूरे श्रद्धाभाव से जलाभिषेक करने आती हैं।
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(सुशान्त साईं सुन्दरम)
~गिद्धौर | 19/07/2017, बुधवार
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