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सोनो : राजा बाबू ने जलाया नि:शुल्क शिक्षा का ज्योत, नौनिहालों का संवर रहा भविष्य


[न्यूज डेस्क | अभिषेक कुमार झा] :-
कहते हैं, इत्र से कपड़ों को महकाना कोई बड़ी बात नहीं, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आए...
इन्हीं पंक्तियों से प्रेरित होकर जमुई जिले के सोनो प्रखंड अंतर्गत बलथर पंचायत के नवयुवक राजा बाबू ने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने की ठान ली।
स्वयं गरीबी की कच्चे लौ में अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले राजा बाबू गरीब घर के बच्चों के संघर्ष और सपने को बखूबी को समझते हैं। यही कारण है कि सुबह की पहली किरण के साथ ही राजा बाबू के पास बच्चों की जमात लगनी शुरू हो जाती है। नि:शुल्क शिक्षा की ज्योत जलाकर राजा बाबू आज तकरीबन 4 दर्जन बच्चों के भविष्य को उड़ान देने में प्रयासरत हैं। 


बताया जाता है कि, 01 जून 2018 को जब इस नि:शुल्क शिक्षण संस्थान की नींव रखी गई थी तब समाज के कुछ वर्गों द्वारा आलोचनाओं के बाण भी भेकें गए थे। पर समाज के लिए कुछ करने के जज्बे ने राजा बाबू के कदम को डगमगाने नहीं दिया। अब राजा बाबू के त्याग और समर्पण की भावना से इन गरीब बच्चों के भविष्य की दिशा और दशा में बदलाव देखने को मिल रहा है।

» सक्षम लोग करते हैं सहयोग «

तकरीबन 6 महीने के अथक और नि:स्वार्थ प्रयास के परिणामत: आज समाज के सक्षम लोग इन बच्चों को शैक्षणिक मुख्यधारा से जोड़ने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। समयंतराल पर युवा संघ सोनो, आरएसएस के सदस्य व कुछ समाजसेवी लोग भी यथा संभव पाठ्य सामग्री व उपयोगी वस्तुओं का नि:शुल्क वितरण कर राजा बाबू के इस पहल को बुलंदी तक ले जाने में अपना योगदान दे रहे हैं। हाल ही के दिनों में सामाजिक संस्था मिलेनियम स्टार फाउंडेशन एवं युवा संघ सोनो के संयुक्त तत्वावधान में राजा बाबू के नि:शुल्क शिक्षण संस्थान में अध्ययनरत गरीब वर्ग के बच्चो के बीच पाठ्य पुस्तक, पेंसिल, काॅपी एवं कुछ कपड़ों का मुफ्त वितरण कर इन नौनिहालों का हौसला बढ़ाया था।

» समाज में बना ली अपनी अलग पहचान «

अराजकता के चादर में लिपटे हुए वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की बेबसी पर अपनी चिन्ता जाहिर करते हुए राजा बाबू बताते हैं कि मध्यमवर्गीय परिवार के जो बच्चे बाजार के महंगे कोचिंग में पढ़ने को असक्षम व असमर्थ हैं, शैक्षणिक माहौल न मिलने से वे सामाजिक मुख्यधारा से भटक जाते हैं। इन बच्चों को सही मार्ग पर लाने का यह एक छोटा सा प्रयास है।
राजा बाबू के इस सोच से समाज में इनकी एक अलग पहचान बनने लगी है। इनके द्वारा कक्षा का नियमित नि:शुल्क संचालन से बच्चों में उज्ज्वल भविष्य के अंकुर की छवि दिखने लगी है। राजा बाबू का मानना है इस तरह के पहल से वे समाज को यह संदेश देना चाहते हैं कि अपने दिनचर्या से कुछ समय निकालकर यदि इन वंचित नौनिहालों को सही तरीके से दी जाए तभी हम एक बेहतर भारत का निर्माण कर सकेंगे ।