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चकाई : बाइक पर सवार हो एसपी संग जंगलों में घूमते रहे D.I.G मनु महाराज

[चकाई | श्याम सिंह तोमर]:
तेवर वही पुराना लेकिन अंदाज बिल्कुल अलग. कंधे पर सेकंड भर में गोलियों की बौछार करने वाला एके 47 और शरीर पर कोबरा की वर्दी. भूख लगी तो वहीं पेड़ के नीचे बिछा ली चादर और भोजन के पश्चात फिर निकल पड़े पैदल घने जंगल की ओर, गुरुवार को नक्सलियों द्वारा आहूत नक्सली बंदी में जमुई जिला के चकाई थाना क्षेत्र के बरमोरिया पंचायत के जंगलो में मुंगेर रेंज के डीआईजी मनु महाराज जमुई एसपी जगुनाथ रेड्डी के साथ जंगलों की खाक छानते नज़र आये।
एक पखवारे पहले जमुई जिला के सिकंदरा का लछुआड़,खैरा का गढ़ी,सोनो के चरकापत्थर,बरहट,लक्ष्मीपुर भीमबांध के जंगलों में डीआईजी का यंग टीम के साथ चकाई के कई नक्सल प्रभावित जंगलो के क्षेत्रों के दौरे बाद अब विचरण मुंगेर रेंज में उनके कार्यों की प्राथमिकता को दर्शा रहा है.मंशा साफ है कि प्रकृति के सौन्दर्य को लाल गलियारे के नाम से बदनाम करने की साजिश अब और नहीं चलेगी.
डीआईजी मनु महाराज अपनी टीम को यह भी जताना चाह रहे कि उनका टीम लीडर सिर्फ बंद कमरे में मैप देखकर फिडबैक लेने वाला नहीं बल्कि स्पॉट पर जाकर उसे क्षेत्र का इतिहास भूगोल भी बताना होगा. कयास यह भी लगाया जा रहा है कि नक्सलियों के मांद जमुई जिला में डीआईजी का बार-बार जाकर क्षेत्रीय लोगों से सामंजस्य बिठाने का प्रयास और पुलिस को सहयोग देने की बात कहना आने वाले समय में नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई का संकेत है.
बताया जा रहा है कि इसी को लेकर पिछले दिनों लक्ष्मीपुर में जमुई, बांका और मुंगेर पुलिस की एक संयुक्त बैठक हुई थी. कयास लगाए जा रहे हैं कि उस बैठक के बाद बुधवार को डीआईजी मनु महाराज द्वारा दल बल के साथ जंगल के बड़े भूभाग में किया गया. यह विजिट एक बड़े कांबिंग ऑपरेशन की आहट है, जिसमें कई जिलों की पुलिस शामिल हो सकती है. इस दौरान डीआईजी ने स्थानीय लोगों से भी बात की और उनकी समस्याओं को जाना.
बता दें की गुरुवार को नक्सलियों ने भारत बन्द का आह्वान किया था और नक्सलियों द्वारा बुलाये गए बंद को लेकर चकाई में वयापक असर देखा गया। नक्सलियों का भय दूर करने मनु महाराज, एसपी जगुनाथ रेड्डी, एएसपी अभियान सुधांशू कुमार के साथ चकाई के बरमोरिया पंचायत के गरुढबाग, पन्ना, राजाडूमर के जंगलो में मोटरसाइकिल पर सवार होकर घूमते रहे इस दौरान डीआईजी अधिकारियों के चकाई के जंगलो के रास्ते चरकापत्थर जंगल घुस गए उसके बाद अपने गंतव्य स्थान की और कुच कर गए।