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गिद्धौर : इस विद्यालय में मात्र 1 शिक्षिका के सहारे पढ़ते हैं 68 बच्चे

   

 [न्यूज डेस्क  | अभिषेक कुमार झा]

सूबे में शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए एक ओर जहां मौजूदा सरकार तरह तरह के योजनाए चला रही है, वहीं दूसरी ओर प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से बच्चों की शिक्षा पर ग्रहण लग रहा है।
 गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत नव. प्राथमिक विद्यालय छतरपुर का आलम भी कुछ ऐसा ही है, जहाँ मात्र एक शिक्षिका के सहारे 68 बच्चों का भविष्य शिक्षकों के आस में धूंधला दिख रहा है। जिससे की उक्त विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है।
उक्त विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिये पतसंडा पंचायत के 13 नम्बर वार्ड सदस्य सह विद्यालय शिक्षा समिति के पदेन अध्यक्ष डब्लू पंडित ने जिला अधिकारी धर्मेंद्र कुमार को पत्र लिखकर दो शिक्षकों की माँग की है। लिखे गये पत्र में उन्होंने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि छतरपुर गाँव स्थित नव. प्राथमिक विद्यालय में एक मात्र शिक्षिका हेमलता कुमारी है जिनसे कार्यालय के कार्यभार के साथ-साथ पठन पाठन का कार्य संभलना काफी मुश्किल हो गई है, जिसकी वजह से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है, और उनका भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है।
पत्र में श्री पंडित ने लिखा कि इस गाँव के ज्यादतर लोग गरीब किसान है, मजदूरी करके अपनी गुजर बसर करते हैं, गरीबी की वजह से किसी प्राइवेट स्कूलों में भी अपने बच्चों को नहीं पढ़ा सकते। ऐसी हालत में एक मात्र सहारा सरकारी विद्यालय ही बचा है।
उन्होंने पत्र के माध्यम से माननीय जिलाधिकारी का ध्यान कन्या मध्य विद्यालय एवं उत्क्रमित मध्य विद्यालय पतसण्डा के ओर आकर्षित करते हुए कहा है कि इन दोनों विद्यालयों में लगभग 10-10 शिक्षक हैं।पर छतरपुर के इस विद्यालय में शिक्षकों की कमी है, जिससे की बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
श्री पंडित ने डीएम से उक्त विद्यालय में दो शिक्षकों की मांग करते हुए कहा है कि, यदि इन 68 बच्चों के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हुए तो, उनके भविष्य पर ग्रहण लग जाएगा और वो बच्चे अपने सपने को पूरा नहीं कर सकेंगे । 

 
 
बता दें कि, दिनांक 24/7/2018 को पंजीकृत डाक से जमुई डीएम को भेजे गये पत्र की एक प्रतिलिपि गिद्धौर के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भी भेजी गई है। अब ग्रामीणों द्वारा ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि विभागीय प्रक्रिया पूरी करने के बाद डीएम द्वारा जल्द ही उक्त विद्यालय में शिक्षकों की कमी को दूर कर दिया जाएगा । पर फिलहाल तो इसकी नींव रखी गई है, जिसका परिणाम भविष्य के गर्भ में है।