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पढ़िए श्रेयसी की कहानी, जी भर कर बधाइयां दीजिए बिहार की इस गोल्डन गर्ल को

Gidhaur.com (अनूप नारायण/सुशांत सिन्हा) : बिहार की बेटी श्रेयसी सिंह ने ऑस्ट्रेलिया में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम 2018 में आज शूटिंग स्पर्धा में भारत को 12वां स्वर्ण पदक दिलाया। श्रेयसी कॉमनवेल्थ गेम में स्वर्ण पदक जितने वाली बिहार की पहली महिला है। वह मूलरूप से बिहार के जमुई जिला के गिद्धौर की रहने वाली है। भारत का नेतृत्व कर स्वर्ण जितने वाली श्रेयसी अपनी लगन और मेहनत के बलबूते इस मुकाम तक पहुंची हैं।

2014 के कामनवेल्थ में जीती थी रजत
बात 2014 की है, ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स चल रहे थे। बिहार के जमुई से भी 12 किमी दूर गिद्धौर नाम का एक गांव है, वहां अचानक हलचल बढ़ गई। इसका कारण था, यहां की बेटी श्रेयसी को कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक हासिल हुआ था। श्रेयसी के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह का ये सपना था कि उनके गांव में एक रायफल रेंज बने। दादा की भी इसमें रुचि थी। पिता वर्षों तक मृत्युपर्यंत नेशनल राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे।

पिता दिग्विजय सिंह कॉमनवेल्थ खेलों में ही गए थे और फिर कभी लौटकर नहीं आए
कॉमनवेल्थ में श्रेयसी की जीत इसलिए भी मायने रखती थी, क्योंकि 2010 में दिग्विजय सिंह कॉमनवेल्थ खेलों में ही गए थे और फिर कभी लौटकर नहीं आए। वहीं पर उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ, सेंट थॉमस अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उन्होंने प्राण त्याग दिए थे। 2008 में ही श्रेयसी अपने खेल से अपना हुनर साबित कर चुकी थीं। इसके बाद भी 2009 में ये कहा जा रहा था कि श्रेयसी को पिता के प्रभाव के कारण स्थान मिला है।

खुद बनाया अपना मुकाम
हालांकि वर्ष 2009 में वे सफलता हासिल कर भी नहीं पाई थीं, लेकिन चार साल बाद ही उन्होंने सबका मुंह बंद कर दिया। जबकि वास्तविकता ये है कि जब श्रेयसी नौवीं में थी, तब पिता से कहा कि मैं भी शूटिंग करना चाहती हूं। तो पिता ने कहा कि मैं ऐसे कोई सपोर्ट नहीं करूंगा, जिस तरह से दूसरे बच्चे आते हैं वैसे ही तुम योग्य हो, फिर प्रतिस्पर्धा में भाग लो। तब श्रेयसी ने अपने स्तर पर ही तैयारी की।

गिद्धौर के साथ-साथ बिहार और देश का बढ़ाया अभिमान 
श्रेयसी अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच को देती हैं। उनके अनुसार कोच पीएस सोढ़ी ने उनकी टेक्निक सुधारी। अब वे नेशनल चैम्पियनशिप में भी गोल्ड हासिल कर चुकी हैं। अब वे पिता के सपने को पूरा करने में लगी हैं। कॉमनवेल्थ गेम में स्वर्ण पदक जीतकर गिद्धौर के साथ ही साथ बिहार और देश का अभिमान बढ़ाया है।

बिहार के इस बेटी ने उन हजारों बेटियों के लिए आदर्श भी कायम किया है जो घर के चूल्हा चौका और बर्तन मांजने की परंपरा को छोड़कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी चमक बिखेरने उतावली है।

गिद्धौर      |      11/04/2018, बुधवार

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