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समस्तीपुर के राजेश विदेश मंत्रालय की नौकरी छोड़ संवार रहे गरीब बच्चों का भविष्य

Gidhaur.com (शिक्षा) : कभी-कभी इंसान एक बड़ी नौकरी पाकर भी नहीं खुश होता है औऱ कभी-कभी एक छोटे से काम में भी उसको सारे जहां की खुशियां मिल जाती हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है राजेश कुमार सुमन का जिन्हें भारत की आर्थिक राजधानी जैसे चकाचौंध वाली शहर में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में नौकरी मिल गया था और तनख्वाह भी बहुत अच्छी मिल रही थी, लेकिन राजेश कुमार सुमन का दिल उस नौकरी में नहीं लग रहा था।

विदेश मंत्रालय की नौकरी को कहा अलविदा
राजेश कुमार सुमन को तो कुछ और ही करना था इसलिए उन्होंने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की नौकरी को बाय-बाय बोल दिया और वापस अपने जन्मभूमि समस्तीपुर (बिहार ) लौट आये। समस्तीपुर वापस आकर राजेश कुमार सुमन ने उन बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की रौशनी फैलाने का जिम्मा उठाया जो गरीबी की वजह से शिक्षा की पहुंच से बहुत दूर थे। सुमन  के पिता राम चरित्र महतो एक मध्यवर्गीय किसान थे। इसीलिए उनकी शिक्षा गरीबी के कारण अच्छे संस्थानों में नहीं हो सका।सुमन ने उसी समय ठान लिया था कि आगे चलकर प्रतिभावान बच्चों जो गरीबी के कारण शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाते हैं। वैसे बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दूंगा।

गरीब बच्चों को पढ़ाने का किया फैसला
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से स्नाकोत्तर की पढ़ाई करने के बाद सुमन को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में नौकरी मिल गई। लेकिन उनके दिमाग में उन गरीब बच्चों की तस्वीर बसी थी जो गरीबी की वजह से पढ़ नहीं पाते हैं और शायद इसीलिए गरीबी के दलदल में फंसते चले जाते हैं। इन्हीं बच्चों को एक नया भविष्य देने के इरादे से उन्होंने विदेश मंत्रालय की नौकरी छोड़ कर वापस समस्तीपुर जिले के रोसड़ा  में आकर गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए बीएसएस क्लब नि:शुल्क शैक्षणिक संस्थान का स्थापना किया।

बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा से की शुरूआत

बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा से सुमन ने शुरूआत किया और एक घर किराए पर लेकर बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए बीएसएस क्लब नि:शुल्क शैक्षणिक संस्थान का स्थापना किया। यहीं पर श्याम ठाकुर, अशोक कुमार और जितेन्द्र यादव जैसे के शख्स से उनकी मुलाकात हुई, जिन्हें शिक्षा की जानकारी थी। सभी ने मिलकर  इसके जरिए समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय और खगड़िया जिले के ग्रामीण  बस्तियों में रहने वाले 10 वीं पास गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे बच्चों का तादाद बढने लगा। अब तक सुमन लगभग संस्थान के स्थापना काल से अब तक लगभग 2000 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मुहैया करा चुके हैं।इसमें से लगभग 300 बच्चों को भारत सरकार व विभिन्न राज्य सरकारों के नौकरियों में चयनित भी हुए हैं।

लेकिन राजेश कुमार सुमन सिर्फ इतने बच्चों को ही नहीं पढ़ाना चाहते थे, वो चाहते थे कि ऐसे ही तमाम बच्चे शिक्षित हो जो शिक्षा की धारा से दूर थे। इसके लिए वो सरकार की मदद चाहते थे। क्योंकि बिना सरकार के इतने बड़े काम को करने में दिक्कत होती। इसके लिए उन्हें सरकार अब तक कोई  मदद नहीं किया।

पर्यावरण संरक्षण का अनूठा पहल
पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के लिए यहाँ नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करने वाले प्रत्येक बच्चे "सेल्फी विद् ट्री" अभियान के तहत अपने-अपने जन्मदिन पर पौधारोपण अवश्य करते हैं।बताते चलें कि क्लब के संस्थापक राजेश कुमार सुमन ने पर्यावरण संरक्षण का शपथ लेते हुए अपने जन्मदिन पर "सेल्फी विद् ट्री" अभियान की शुरुआत किया था।इस अभियान के सुमन और यहाँ अध्ययनरत बच्चों ने अबतक हजारों पेड़ लगा चुके हैं।संस्थापक राजेश कुमार सुमन किसी के शादी, उपनयन संस्कार व अन्य मौंके पर महँगे गिफ्ट के बदले पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधा ही गिफ्ट के रूप में देते हैं।

अनूप नारायण
22/02/2018, गुरुवार





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