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फर्जी है सोशल मीडिया पर वायरल होता ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ का ये संदेश!


विशेष (सुशांत सिन्हा) : सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म व्हाट्सएप्प - फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और उसके साथ दिया गया मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है. वायरल हो रहे इस मैसेज में पीएम मोदी की तस्वीर है और उस पर लिखा है कि प्रधानमंत्री की सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 1 से 18 साल की सभी बालिकाओं को 10 हजार रुपये का चेक दिया जा रहा है.
वायरल मैसेज में पीएम मोदी की तस्वीर और रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए लिंक के URL में gov.in दो ऐसे संकेत हैं, जो भोले-भाले लोगों को भ्रमित करने के लिए काफी हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये मैसेज सच है या फिर सोशल मीडिया पर वायरल होते तमाम फेक संदेशों की तरह झूठ. आपके विश्वसनीय पोर्टल gidhaur.com ने इस वायरल मैसेज की पड़ताल की. इस आर्टिकल को पूरा पढ़े और शेयर करना न भूलें.

सबसे पहले जानिए वायरल मैसेज में क्या है?
वायरल मैसेज में पीएम मोदी की एक तस्वीर है, जिस पर तीन संदेश लिखे हैं. पहला, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और दूसरा ‘प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना’. इन दो संदेशों के अलावा तीसरे संदेश में लिखा हैः
'प्रधानमंत्री द्वारा 1 से 18 साल की बालिकाओं को निःशुल्क 10 हजार रुपये का चेक दिया जा रहा है. बालिकाओं के भविष्य के लिए इस योजना को चालू किया गया है. आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 अगस्त है तो जल्दी करें और इस मैसेज को अपने सभी दोस्तों को भेजें ताकि इस योजना का लाभ सभी को मिल सके.'

आवेदन करने के लिए मैसेज में एक लिंक http://sukanya-yojna.m-indian-gov.in भी दिया गया है.

सोशल मीडिया पर दनदना के शेयर हो रहा है ये मैसेज
व्हाट्सएप्प के अलावा ये लिंक और मैसेज फेसबुक पर भी धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा है.

वायरल मैसेज में अपील की गई है, ‘इस मैसेज को अपने सभी दोस्तों को भेजें ताकि इस योजना का लाभ सभी को मिल सके.’ शायद ये भी एक वजह है कि बिना जांचे परखे लोग इसे अपनी फेसबुक वॉल या व्हाट्सऐप्प ग्रुप्स में शेयर कर रहे हैं.

वायरल मैसेज का क्या है सच?
वायरल मैसेज की पड़ताल करने के लिए जब दिए गए लिंक पर क्लिक किया गया तो ये वेबसाइट पेज खुला.

वेबसाइट पर ‘कन्या का नाम’, ‘आवेदक का नाम’, ‘उम्र’ और ‘राज्य’ के बारे में जानकारी मांगी गई है. इस जानकारी के अलावा न तो एड्रेस, न मोबाइल नंबर और न ही कोई ईमेल एड्रेस मांगा गया है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस योजना का लाभ आप तक पहुंचेगा कैसे?

वेबसाइट के दाईं ओर सबसे नीचे कोने में बहुत ही छोटे फॉन्ट में About Us का ऑप्शन दिया गया है, जिस पर क्लिक करने पर एक नया पेज खुलता है.

इस पेज पर स्पष्टीकरण के तौर पर लिखा है, ‘यह वेबसाइट भारत सरकार से जुड़ी हुई नहीं है ना ही हम आपसे किसी प्रकार की (शायद जानकारी) कोई हासिल करके उसे संग्रह कर रहे हैं. इस वेबसाइट को बनाने का हमारा (शायद उद्देश्य) लोगो को इस योजना के प्रति जागरूक करना है.’
इसके अलावा इस वेबसाइट पर अन्य कोई जानकारी नहीं हैं. यानी ना तो संपर्क के लिए कोई पता दिया गया है और ना ही कोई नंबर. हां, वेबसाइट पर कुछ विज्ञापन जरूर चल रहे हैं.

वेबसाइट से वेबकूफ बनाने का है बड़ा खेल
वेबसाइट पर मांगी गई जानकारी में कुछ भी डिटेल्स भरने पर वह सबमिट हो जाती है. लेकिन वेरिफिकेशन के लिए इस मैसेज को 10 व्हाट्सऐप्प ग्रुप में शेयर करने के लिए कहा जाता है.

अब जब इस मैसेज को 10 व्हाट्सऐप्प ग्रुप में शेयर करेंगे, तो उनमें से कम से कम 5-10 लोग भी इस मैसेज को सच समझकर क्लिक करेंगे और वह भी यही प्रोसेस पूरा करेंगे. फिर उन्हें भी आगे 10 ग्रुप में यही मैसेज शेयर करने को कहा जाएगा. यानी ये सिलसिला चलता रहेगा और कुछ ही घंटो में ये लाखों लोगों तक चला जाएगा.
वेबकूफ बनाकर पैसे बनाते हैं
वेबसाइट के जरिए वेबकूफ बनाने के इस खेल में बेवकूफ बनाने वाला लाखों रुपये कमा लेता है. वेबसाइट के जरिए बेवकूफ बनाने का ये फर्जीवाड़ा तेजी से फैल रहा है. इसमें लोगों को लुभाने के लिए कुछ फ्री या सस्ता देने का लालच दिया जाता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग वेबसाइट के लिंक पर क्लिक करते हैं.

वेबसाइट पर ज्याद हिट आने से गूगल एडसेंस के जरिए वेबसाइट पर विज्ञापन के बैनर आने लगते हैं और उससे फेक वेबसाइट बनाने वाले आपको वेबकूफ बनाकर पैसा कमा लेते हैं.

gidhaur.com के पड़ताल का परिणाम
वेबसाइट पर पीएम मोदी की तस्वीर, केंद्र सरकार की योजनाओं के नाम और वेबसाइट के URL में gov.in का इस्तेमाल सिर्फ लोगों को भ्रमित करने के लिए किया गया है. सरकारी वेबसाइट के आखिर में ज्यादातर ऐसे होते है “.gov”, “.gov.in”. “.org’आदि.

“यह वेबसाइट भारत सरकार से जुडी हुई नहीं है ना ही हम आपसे किसी प्रकार की कोई हासिल करके उसे संग्रह कर रहे है. इस वेबसाइट को बनाने का हमारा लोगो को इस योजना के प्रति जागरूक करना है.
”नीचे कोने में एक छोटा सा “अबाउट अस” यानी “हमारे बारे में” का लिंक है जिसमे लिखा है की ये सरकार से जुड़े नहीं है. तो जब जुड़े ही नहीं है तो फिर ये योजना का लाभ हमे कैसे मिलेगा ?

gidhaur.com द्वारा किये गए इस वायरल टेस्ट में ये वेबसाइट और वायरल मैसेज फेक साबित होता है.