Gidhaur.com (जमुई):बिहार सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक राज्य में 23 पुलिस अधिकारियों का तबादला किया है।गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में 2009 बैच के आईपीएस को पश्चिम चम्पारण ,बेतिया का पुलिस अधीक्षक का कमान सौंपा गया,और वहीं गया सिटी में पदस्थापित 2013 बैच के आईपीएस जगुनाथरेड्डी जला रेड्डी को जमुई के नए पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थापित किया गया है।वहीं जमुई के कप्तान जयंतकांत को जिले के सभी थाना प्रभारी व जिले के सभी पुलिस बल के द्वारा गुलदस्ता दे कर भावभीनी विदाई दी गई।
विदाई समारोह में एसडीपीओ नेसार अहमद साह ने कहा कि एसपी सर के साथ 28 महीने से काम कर रहा हूँ कभी भी मुझे विधि व्यवस्था के बारे में सोंचना नहीं पड़ा, सर हमेशा इतने ऐक्टिव रहे कि बड़े से बड़े अपराध को आसानी से काबू कर लिया गया।जब तक सर रहे हैं हमेशा अपराध का ग्राफ नीचे रहा है।और ज़्यादा क्या बोलूँ हमलोगों को एसपी सर साथ में एक परिवार की तरह रखे हैं परिवार से बिछड़ने का तो दुख के साथ-साथ मुझे खुशी भी की एसपी सर को जमुई से अच्छा जिला बेतिया मिला है, मैं ऊपर वाले से दुआ करूँगा की सर की कार्य में चार चांद लगे और जल्द ही सर डीआईजी रैंक पर पदस्थापित हों।

विदाई समारोह में मौजूद एसडीओ सुरेश प्रसाद ने कहा कि सर के साथ काम करने का मुझे अलग मज़ा मिला जिसे मैं बयाँ नहीं कर सकता,बहुत जगहों पर तो पहुंच कर समय से पहले ही विधी व्यवस्था की देख रेख करते रहे है।सर उपर से कठोर ज़रूर हैं, लेकिन अंदर से उतने कोमल भी है।और साथ ही डीडीसी सतीश शर्मा ने कहा कि जमुई प्रशाशन और पारामेडिकल फोर्स जुडिसयरी का ताल मेल जिस तरह जमुई में है वैसा पूरे बिहार में नहीं है।जिससे नक्सली और अपराधी दोनो बैकफुट पर आ गई है।वन प्रमंडल पदाधिकारी ने एसपी को खुश मिजाज बताया और साथ ही बहुत कमर्ठ और तुरंत निर्णय ले कर मामले को सुलझाने वाले पदाधिकारी की संज्ञा दी।वहीं एसपी जयंतकांत के विदाई समारोह में शिरकत होते हुए
एसएसबी के सहायक कमांडेंट संतोष ने बताया कि टीम भावना के कारण ही आज जिले में नक्सल व अपराध का ग्राफ नीचे आया है। ये सब एसपी साहब के कारण ही हो सका है।ये वही जमुई है जो पूरे भारत में नक्सल प्रभावित क्षेत्र का 5वां स्थान में आता है और आज नक्सली बैकफुट पर आ गई, इसकी वजह एसपी साहब हैं।
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विदाई समारोह के अंत में युवा कप्तान जयंतकांत ने अपनी नम आंखों से कहा कि मेरा ट्रांसफर जब जमुई हुआ था तो मुझे ऐसा लग रहा था कि पता नहीं क्या हो जाएगा।लेकिन जब मैं यहाँ आया और सब लोगों का साथ मिला तो कारवाँ आगे बढ़ता गया तो सारी मुश्किलें आसान होती गईं।और अब मैं "क्या भूलूँ क्या याद करूँ"जब एक रेजोडेंस बनता है तो काँच टूट जाता है,लोहा टेढ़ा हो जाता है तो नक्सली क्या चीज़ है उसे भी झुकना पड़ता है।
जमुई | 04/01/2018 (गुरूवार)
Edited by- Abhishek Kumar Jha