Gidhaur.com (न्यूज़ डेस्क) :-यदि आपके कानों तक भी छठ के गीत सुनाने लगे
हैं तो बस तैयार हो जाइये आस्था के इस महापर्व में सम्मिलित होने के लिए, जहाँ छठ की
आहात होते ही घर–घर छठ के गीतों से गुंजायमान हो जाता है|
इन मधुर छठ के गीतों
से सुनकर लगता है कि प्रकृति भी इस उत्सवी माहौल में साम्मिलित हो रहे हैं, फिर गिद्धौर
इससे कैसे परे रह जाता ?
हीलिंग थेरेपी देने वाली ये छठ गीत से गिद्धौर समेत पूरे सूबे में आस्था का महापर्व चार दिवसीय छठ आरंभ होने में लगभग 24 घंटे का समय शेष है। दीपावली बितने के बाद गिद्धौर का माहौल छठ के गीतों से महक रहा है। आस्था के इस महापर्व को लेकर इसके गीत गिद्धौर वासियों के कानों तक पहुँचकर छठ पर्व का माहौल बना रहे हैं। इन गीतों में छठ से जुड़ी लोक कथाएं, पूजा के विधि-विधान व लोक परंपराएं भी समाई हैं जो कि छठ पर्व के आने की हट का एहसास कराती है।

गिद्धौर के गलियों, दुकानों एवं घरों से ‘कांच ही बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाए’ समां बांध रहे हैं। 'केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडराय...', 'उगी है सुरुजदेव...', 'हे छठी मइया तोहर महिमा अपार...' आदि पारंपरिक लोक गीतों से गिद्धौर का पूरा माहौल छठमय हो गया है। 
बताते चलें कि, गिद्धौर में गूँजते छठ पर्व के ये लोक गीत गिद्धौर वासियों में आस्था के भाव भरने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं जिससे की गिद्धौर वासियों में छठ को लेकर उत्साह में बढोत्तरी हो रही है।
गिद्धौर बाज़ार में बढ़ते चहल पहल और गूंजते छठ गीत इस बात का संकेत दे रहे हैं कि हम अपनी लोक परंपरा को किस कदर प्यार करते हैं| खैर, अभी तो गिद्धौर में गूंजते छठ गीत से छठ आने का अनुभव ही हुआ है, बाकी घाटों पर छठ की छटा दिखनी अभी शेष है|
www.gidhaur.com | 23/10/2017, सोमवार