शुक्रवार की देर शाम गिद्धौर के गंगरा पंचायत स्थित बाबा कोकिलचंद मंदिर में वार्षिक आषाढ़ी-पूजा संपन्न हुआ। इस मौके पर मंदिर में कोकिलचंद बाबा के पिंडी स्वरुप की पूजा-अर्चना की गई। गंगरा मे बाबा कोकिलचंद मंदिर में यह पूजा हर साल आषाढ़ महीने में आयोजित किया जाता है। इस प्रकार के पूजा की परंपरा तकरीबन सात शताब्दियों से लगातार चली आ रही है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ी पुजा सम्पन्न होने के बाद ही गंगरा गाँव में धान की रोपनी शुरू होती है। आषाढ़ी पूजा के बाद सावन, भाद्रपद, आश्वीन और कार्तिक महीने में कोकिलचन्द बाबा का बामर पूजन स्थगित रहता है। इसके पश्चात अगहन में कोकिलचंद बाबा का नेमान पूजा के बाद ही बामर पूजन और नये धान का चावल खाने के उपयोग में लिया जाता है। आषाढ़ी पूजा मे सम्मिलित होकर समस्त गांव के लोग धूमधाम से इस एक दिवसीय पर्व को मनाते हुए बाबा कोकिलचन्द के शर्नागत आते हैं। इस दिन ब्राह्मणों द्वारा चावल. दाल एवं खीर का भोग बाबा कोकिलचंद को लगाया जाता है। इसमें बाहर के ब्राह्मण भी सम्मिलित होते हैं।
(अभिषेक कुमार झा)
~गिद्धौर | 08/07/2017, शनिवार
www.gidhaur.com
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