गिद्धौर/जमुई। बरनार नदी स्थित मौरा बालू घाट पर जारी अवैध बालू उठाव के खिलाफ किसानों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थानीय किसानों ने आरोप लगाया है कि बिना अनुमति पोकलेन मशीनों के जरिए बालू की भारी मात्रा में निकासी की जा रही है तथा नदी की मुख्यधारा में ईंट-पत्थर डालकर अवैध सड़क तैयार कर दी गई है। इससे सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त होने लगी है और दर्जनों गांवों की खेती पर गंभीर संकट पैदा हो गया है।
गृह मंत्री व खान-भूतत्व मंत्री को भी भेजा गया पत्र, अवैध उठाव पर रोक लगाने की मांग तेज
शनिवार को किसान नेता एवं सरपंच अवधेश सिंह तथा अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में मौरा, धोबघट, निजुआरा, मांगोबंदर, प्रधानचक, तीलेर सहित कई गांवों के किसानों ने गिद्धौर थाना पहुंचकर थानाध्यक्ष दीनानाथ सिंह को एक लिखित आवेदन सौंपा। किसानों ने तत्काल अवैध खनन पर रोक लगाने की गुहार लगाई। इसी के साथ किसानों ने उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी और खान एवं भूतत्व मंत्री को भी डाक द्वारा ज्ञापन भेजकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
किसानों का कहना है कि अवैध गतिविधियों की अनदेखी से नदी तटों पर स्थित सिंचाई पईन (नहरें) समाप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं। सिंचाई बाधित होने से सैकड़ों एकड़ खेत प्रभावित हो रहे हैं, जिससे गेहूं की बुवाई पर संकट मंडराने लगा है। भू-जल स्तर में भी तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है।
अवैध सड़क निर्माण से नदी की धारा बदली, सिंचाई पूरी तरह बाधित
ग्रामीणों ने बताया कि मौरा घाट पर अवैध रूप से बनाई गई कच्ची सड़क ने बरनार नदी की धारा मोड़ दी है। इसका सीधा असर सिंचाई पर पड़ा है। मौरा पुआरी सिंचाई पईन, मंझला सिंचाई पईन, पछियारी सिंचाई पईन, कोरिका सिंचाई पईन, निजुआरा सिंचाई पईन, प्रधानचक सिंचाई पईन और धोबघट सिंचाई पईन पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने के कगार पर हैं। किसानों ने आशंका जताई कि यदि समय रहते बालू उठाव नहीं रोका गया तो एक दर्जन गांवों में खेती असंभव हो जाएगी।
2018 में भी हुआ था विरोध, हाईकोर्ट ने रद्द की थी बंदोबस्ती
किसानों ने बताया कि वर्ष 2017–18 में भी सरकार द्वारा मौरा बालू घाट की बंदोबस्ती की गई थी। उस समय भी व्यापक विरोध के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने जांच कराई थी। इसके बाद CWJC 8325/2018 (कुणाल कुमार बनाम बिहार सरकार) में उच्च न्यायालय ने घाट की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए खनन पर रोक लगा दी थी और बंदोबस्ती रद्द कर दी थी।
किसानों का कहना है कि 16 जुलाई 2025 को इस घाट से संबंधित एक “पब्लिक ओपिनियन मीटिंग” चुपचाप आयोजित की गई, जिसमें प्रभावित राजस्व गांवों के किसानों को नहीं बुलाया गया। इससे किसानों में गहरी नाराजगी है।
जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश, खनन पदाधिकारी ने किया स्थल निरीक्षण
किसान प्रतिनिधिमंडल ने 11 दिसंबर 2025 को जमुई जिला अधिकारी नवीन से मिलकर ज्ञापन सौंपा। डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला खनिज विकास पदाधिकारी को जांच का आदेश दिया।
शुक्रवार को जिला खनिज विकास पदाधिकारी ने मौरा घाट सहित सातों सिंचाई पईन का स्थल निरीक्षण किया। निरीक्षण में किसानों ने 4 जून 2018 के पत्रांक 404 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए मांग की कि सिंचाई पईन के मुहाने से 1900 फीट के दायरे में किसी भी प्रकार का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए।
किसानों ने कहा— हमारी खेती खत्म हो जाएगी, प्रशासन तत्काल कार्रवाई करे
किसानों राजीव नयन झा, सुनील कुमार झा, नारायण सिंह, दीपक कुमार, बासुदेव साव, कृष्णा मांझी, सुखदेव वैध, कुंदन यादव, रवींद्र रावत, रामप्रवेश रावत एवं नीतिश यादव ने संयुक्त बयान में कहा कि प्रशासन की चुप्पी से बालू माफियाओं का मनोबल बढ़ा है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो सिंचाई पईन का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और ग्रामीणों के सामने आजीविका संकट खड़ा हो जाएगा।





