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सोमवार, 22 दिसंबर 2025

खैरा की दुर्गम वादियों में प्रबोध जन सेवा संस्थान ने जरूरतमंदों को पहनाई राहत की चादर

खैरा/जमुई (Khaira/Jamui), 22 दिसंबर 2025, सोमवार : भगवान महावीर की पावन जन्मभूमि के समीप स्थित जमुई जिले के खैरा प्रखंड में सोमवार को सेवा, संवेदना और सामाजिक उत्तरदायित्व का एक भावनात्मक दृश्य देखने को मिला। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, लेकिन बुनियादी सुविधाओं से वंचित आदिवासी बहुल ग्राम रजला में प्रबोध जन सेवा संस्थान द्वारा कंबल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कड़ाके की ठंड के इस मौसम में आयोजित यह कार्यक्रम गरीब, असहाय और वंचित परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा।

खैरा प्रखंड का यह इलाका न केवल भौगोलिक रूप से दुर्गम है, बल्कि अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में इन गांवों तक पहुंचना अपने आप में एक चुनौती है, लेकिन प्रबोध जन सेवा संस्थान ने इन कठिन परिस्थितियों की परवाह किए बिना मानवता की सेवा का संकल्प पूरा किया। संस्थान की टीम जब इन पहाड़ी वादियों और कच्चे रास्तों को पार कर गांवों तक पहुंची, तो ग्रामीणों के चेहरों पर उम्मीद की चमक साफ नजर आई।

पाँच गांवों में पहुंची राहत
सोमवार को अपराह्न 12:30 बजे शुरू हुए इस सेवा कार्यक्रम के तहत दीपाकरहर, रजला, महेंग्रो, मथुरापुर और बरदौन गांवों के सैकड़ों जरूरतमंद आदिवासी परिवारों को चिन्हित कर कंबलों का वितरण किया गया। ठंड से कांपते बुजुर्गों, महिलाओं और छोटे बच्चों के हाथों में जैसे ही कंबल पहुंचे, उनके चेहरों पर सुकून और मुस्कान दिखाई दी। कई बुजुर्गों की आंखों से छलकती दुआएं इस सेवा की सार्थकता को खुद बयां कर रही थीं।

सेवा भाव से ओतप्रोत रहा आयोजन
कार्यक्रम का संचालन संस्थान के वरिष्ठ सदस्य एवं समाजसेवी सुदर्शन सिंह और प्रमुख सदस्य श्याम मुर्मू के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने कहा कि ठंड का सबसे ज्यादा असर उन्हीं लोगों पर पड़ता है, जिनके पास पक्के घर, पर्याप्त कपड़े और संसाधन नहीं होते। यदि हमारी यह छोटी-सी कोशिश किसी परिवार की रात को थोड़ी गर्माहट दे सके, तो इससे बड़ी सफलता कुछ नहीं हो सकती।
“हम कंबल नहीं, भरोसा बांटते हैं”
इस अवसर पर संस्थान के सचिव एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुमन सौरभ ने भावुक शब्दों में कहा कि हम सिर्फ कंबल नहीं बांट रहे हैं, बल्कि यह भरोसा दे रहे हैं कि समाज का कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी यह महसूस करे कि कोई उसके साथ खड़ा है—यही प्रबोध जन सेवा संस्थान की मूल सोच है। ठंड, भूख और अभाव किसी का इंतजार नहीं करते, इसलिए सेवा भी किसी तारीख या परिस्थिति की मोहताज नहीं होनी चाहिए।

वक्ताओं ने की सेवा की सराहना
संस्थान के जमुई जिला सचिव विनोद कुशवाहा ने कहा कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को ठंड से बचाना समाज का सामूहिक नैतिक दायित्व है।
वहीं कार्यक्रम के प्रमुख सहयोगी रौशन कुमार सिंह ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में आपसी एकजुटता, करुणा और मानवीय संवेदनाओं को मजबूत करते हैं और सकारात्मक संदेश देते हैं।
उम्मीद की लौ बनी सेवा
जब सैकड़ों जरूरतमंदों के बीच कंबलों का वितरण हुआ, तो खैरा की उन दुर्गम वादियों में मानवता की गर्माहट महसूस की गई। जिन रास्तों पर आमतौर पर लोग जाने से कतराते हैं, वहां प्रबोध जन सेवा संस्थान की टीम ने सेवा का जो दीप जलाया, उसकी रोशनी दूर-दूर तक नजर आई। यह कार्यक्रम न केवल ठंड से राहत देने वाला साबित हुआ, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सामाजिक संस्थाओं के प्रति विश्वास और उम्मीद की एक नई लौ भी जगा गया।

इस अवसर पर संस्थान के सदस्य सौरभ मिश्रा, हरेराम सिंह, आनंद कुमार, आशीष कुमार, सुमित पांडे, जलधर कुमार, विजय कुमार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में ग्रामीणों ने संस्थान के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास ही समाज को मानवीय मूल्यों से जोड़ते हैं।

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