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सोमवार, 15 दिसंबर 2025

गिद्धौर : महाराजा मार्केट के समीप का तालाब बना कचड़ा डंपिंग ज़ोन, दुर्गंध और बीमारियों का खतरा

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 15 दिसंबर 2025, सोमवार : प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र के महाराजा मार्केट के पास स्थित तालाब इन दिनों गंदगी के अंबार में तब्दील हो गया है। बाजार का अधिकांश कचड़ा खुलेआम इसी तालाब में फेंका जा रहा है, जिससे आसपास के इलाके में बदबू फैल रही है और लोगों का जीना मुहाल हो गया है। यह तालाब गिद्धौर महल के पश्चिम दिशा में स्थित है और कभी क्षेत्र की पहचान हुआ करता था, लेकिन अब प्रशासनिक उदासीनता और आपसी जिम्मेदारी के अभाव में यह तालाब नारकीय स्थिति में पहुंच चुका है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि तालाब के चारों ओर कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने के कारण दुकानदार और राहगीर बेझिझक यहां कचड़ा फेंक रहे हैं। उड़ता हुआ कचड़ा सड़क तक पहुंच जा रहा है, जिससे राहगीरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालात इतने बदतर हैं कि मवेशी और आवारा जानवर तालाब में फेंके गए सड़े-गले अनाज और सब्जियों को खा रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है।

वार्ड संख्या 9 के वार्ड सदस्य अरविंद कुमार ने बताया कि पंचायत स्तर पर बार-बार सफाई की मांग की गई, लेकिन पंचायत मुखिया द्वारा फंड उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण नियमित सफाई संभव नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि यदि समय पर संसाधन मिलते तो तालाब की स्थिति इतनी खराब नहीं होती।
वहीं, ग्राम पंचायत राज पतसंडा की मुखिया ललिता देवी के प्रतिनिधि राजीव कुमार साव उर्फ पिंकू ने स्पष्ट किया कि यह तालाब गिद्धौर राज परिवार की संपत्ति है, इसलिए पंचायत या अन्य जनप्रतिनिधि इसकी सफाई सीधे तौर पर नहीं करवा सकते। उन्होंने कहा कि यदि राज परिवार द्वारा तालाब के चारों ओर बैरिकेडिंग की व्यवस्था कर दी जाए, तो इसमें कचड़ा फेंके जाने पर काफी हद तक रोक लग सकती है।

उधर, लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत कचड़ा उठाव कार्य में लगे कर्मियों को समय पर भुगतान नहीं होने के कारण कचड़ा उठाने का कार्य भी बंद पड़ा है। इसके चलते लोग मजबूरी में घरों और दुकानों से निकलने वाला कचड़ा इसी तालाब में डाल रहे हैं। इसका सीधा असर पर्यावरण और जनस्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि तालाब की साफ-सफाई को लेकर स्पष्ट जिम्मेदारी तय की जाए, कचड़ा उठाव व्यवस्था को तुरंत बहाल किया जाए और तालाब को गंदगी से बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अन्यथा आने वाले दिनों में क्षेत्र में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा और बढ़ सकता है।

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