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मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

आज़ादी से पहले की परंपरा बनी पहचान, बंधौरा में मध्य रात्रि काली पूजा से गूंजा गिद्धौर

मौरा/गिद्धौर (Maura/Gidhaur), 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार : दीपों के त्योहार दीपावली की मध्य रात्रि में जहां देशभर में घर-आंगन दीपों से जगमगा रहे थे, वहीं गिद्धौर प्रखंड के मौरा पंचायत अंतर्गत बंधौरा गांव में सदियों पुरानी काली पूजा की परंपरा श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाई जा रही थी। यह परंपरा आज़ादी से पहले से चली आ रही है और आज भी पूरे भव्यता के साथ उसका निर्वाह किया जा रहा है।

बंधौरा गांव निवासी भोला रावत ने बताया कि इस काली मंदिर की स्थापना वर्ष 1944 में स्वर्गीय भूपत पंडित द्वारा की गई थी। तब से अब तक यह पूजा अनवरत रूप से हर दीपावली की मध्य रात्रि में संपन्न होती है। ग्रामीण बताते हैं कि यह पूजा सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि गांव की सामाजिक एकता और परंपरा का प्रतीक भी है।

दीपावली की मध्य रात्रि को मां काली की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजन-अर्चन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। पूजन की शुरुआत स्थानीय पंडित बमबम पांडेय द्वारा कलश स्थापना और वैदिक मंत्रोच्चारण से की गई। पूजा के दौरान गांव के हर घर से लोग श्रद्धा के साथ शामिल हुए, और माहौल जयकारों से गूंज उठा।
प्रतिमा निर्माण का कार्य इस वर्ष भी गिद्धौर के प्रसिद्ध मूर्तिकार विष्णुदेव पंडित और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया। विष्णुदेव पंडित ने बताया कि वे पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से यहां मां काली की प्रतिमा बनाते आ रहे हैं, जो उनके लिए गौरव और परंपरा दोनों का विषय है।

पूजन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में मुख्य पुजारी यदु पंडित, प्रह्लाद पंडित और सदानंद पंडित का विशेष योगदान रहा। वहीं, स्थानीय ग्रामीणों ने भी पूरे उत्साह के साथ सहयोग किया।

रात्रि के समय मंदिर परिसर में दीपों की जगमगाहट, धूप-दीप की सुगंध और घंटा-घड़ियाल की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरण किया गया और लोगों ने मां काली से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। बंधौरा की यह मध्य रात्रि काली पूजा आज भी गिद्धौर क्षेत्र में आस्था और परंपरा का प्रतीक बनी हुई है, जो हर वर्ष दीपावली को और अधिक पवित्र और विशेष बना देती है।

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