- झाझा विधानसभा में अजेय किला बने दामोदर रावत
- जनता के दिलों में बसा विश्वास
- विरोधियों के लिए बड़ी चुनौती बने दामोदर
झाझा/जमुई (Jhajha/Jamui), 9 अक्टूबर 2025, गुरुवार : झाझा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में यदि किसी नाम ने दशकों से अपनी गहरी छाप छोड़ी है, तो वह है बिहार सरकार (Bihar Government) के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक दामोदर रावत। विकास, जनसंपर्क और सादगी का प्रतीक बन चुके रावत आज झाझा ही नहीं, बल्कि पूरे जमुई जिले में एक सशक्त जननेता के रूप में स्थापित हैं। विरोधी चाहे जितनी सियासी चालें चल लें, जनता के दिलों में उनकी जगह अटूट और अडिग है।
पिछले 25 वर्षों से झाझा विधानसभा महागठबंधन (Mahagathbandhan) के लिए अभेद किला साबित हुई है, और इस किले के निर्माता हैं दामोदर रावत। उन्होंने अपने समर्पित कार्य, विकास योजनाओं के सफल क्रियान्वयन और जनता से गहरे जुड़ाव के बल पर ऐसा तिलस्म खड़ा किया है, जिसे तोड़ पाना किसी भी दल के लिए आसान नहीं। नीतीश कुमार की योजनाओं को जमीन पर उतारने में उनकी भूमिका हमेशा निर्णायक रही है। आज झाझा के हर गांव, हर पंचायत और हर गली में रावत का नाम विकास, भरोसे और सेवा का पर्याय बन चुका है।
रावत की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे अब तक पांच बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 2000 में समता पार्टी से पहली जीत दर्ज करने वाले दामोदर रावत ने राजद के कद्दावर नेता डॉ. रविंद्र यादव (Dr Ravindra Yadav) को हराकर अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी। इसके बाद 2005 के फरवरी और अक्टूबर चुनावों में उन्होंने जदयू (JDU) प्रत्याशी के रूप में राजद (RJD) के राशिद अहमद को शिकस्त दी। उनकी लगातार जीतों ने झाझा की राजनीति में उनकी पकड़ और भी मजबूत कर दी।
वर्ष 2010 के चुनाव में भी उन्होंने राजद प्रत्याशी विनोद यादव को हराया और बिहार सरकार में भवन निर्माण सह पीएचईडी मंत्री बने। हालांकि, 2015 में गठबंधन की राजनीतिक उलझनों के कारण उन्हें भाजपा के डॉ. रविंद्र यादव के हाथों मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन जनता का विश्वास उनसे कभी नहीं डिगा।
2015 की हार के बाद दामोदर रावत ने हार नहीं मानी, बल्कि और अधिक समर्पण के साथ जनता के बीच लौटे। उन्होंने गांव-गांव घूमकर जनसंपर्क किया, विकास की नई योजनाओं को आगे बढ़ाया और जनता के बीच भरोसे की लौ को फिर प्रज्वलित किया। परिणामस्वरूप वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने शानदार वापसी करते हुए झाझा सीट पर फिर से जीत दर्ज की और आज वे झाझा के लोकप्रिय विधायक हैं।
उनकी जीत केवल एक राजनीतिक सफलता नहीं थी, बल्कि यह जनता के विश्वास की जीत थी, उस भरोसे की जीत, जो उन्होंने वर्षों की सेवा, सादगी और समर्पण से अर्जित की थी। आज झाझा विधानसभा क्षेत्र में लोगों का मानना है कि राजद चाहे किसी को भी टिकट दे दे, रावत के जनाधार और उनकी लोकप्रियता के तिलस्म को तोड़ पाना नामुमकिन है।
राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि दामोदर रावत की पकड़ किसी जातिगत समीकरण पर नहीं, बल्कि उनके काम और लोगों से जुड़ाव पर टिकी है। वे सभी वर्गों किसानों, मजदूरों, युवाओं, महिलाओं और व्यापारियों के नेता हैं। उनकी सादगी, सहजता और विकासपरक दृष्टिकोण ने उन्हें एक ऐसा विकास पुरुष बना दिया है, जो हर दिल में बसता है।
झाझा की जनता आज भी मानती है कि विकास की जो नींव विधायक दामोदर रावत (MLA Damodar Rawat) ने रखी थी, वही इस क्षेत्र को प्रगति की राह पर आगे बढ़ा रही है। और यही कारण है कि आने वाले चुनाव में चाहे महागठबंधन का समीकरण बदले या टिकट किसी नए चेहरे को मिले, लेकिन झाझा के मतदाता दामोदर रावत के प्रति अपने अटूट विश्वास से विचलित नहीं होंगे।