गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 27 अक्टूबर 2025, सोमवार : लोकआस्था, पवित्रता और लोकसंस्कृति के अद्भुत संगम का पर्व छठ इस समय पूरे गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र में अपनी भव्यता के चरम पर है। रविवार को छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना पूजा के अवसर पर पूरे प्रखंड का वातावरण श्रद्धा और भक्ति से सराबोर रहा। व्रतधारियों ने संध्या बेला में पूरे विधि-विधान के साथ खरना पूजा संपन्न की।
इस दौरान व्रती महिलाओं ने मिट्टी के चूल्हे पर गुड़, चावल और दूध से बनी रसिया (गुड़ की खीर) तैयार की और छठ मईया को रोटी और केला का भोग अर्पित किया। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती महिलाओं ने 36 घंटे के निर्जला निराहार व्रत की शुरुआत की, जिसमें वे बिना जल ग्रहण किए सूर्य भगवान और छठी मइया की आराधना में लीन रहती हैं। यह व्रत मंगलवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूर्ण होगा।
गिद्धौर प्रखंड में छठ पर्व को लेकर आस्था और उल्लास का अनोखा नज़ारा देखने को मिला। बाजारों में पूजा सामग्री की खरीददारी के लिए सुबह से ही भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाएं, बच्चे और पुरुष सूप, दउरा, ढकनी, फल, ईख, नारियल, दीया, वस्त्र और अन्य पूजन सामग्रियों की खरीद में व्यस्त दिखे।
गिद्धौर बाजार में छठ की चहल-पहल पूरे दिन बनी रही। बताया जाता है कि प्रखंड के 20 से अधिक गांवों के लोग खरीददारी के लिए गिद्धौर पहुंचे। जगह-जगह छठ गीतों की स्वर लहरियां गूंजती रही, “केलवा जे फरेला घवद से…” जैसे पारंपरिक गीतों ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
हालांकि, श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण गिद्धौर बाजार में जाम की स्थिति भी बनी रही। निर्धारित पार्किंग की व्यवस्था न होने से वाहन सड़कों पर ही खड़े रहे। वहीं कई दुकानदारों द्वारा सड़क किनारे अतिक्रमण कर चौकी और ठेला लगाकर दुकानें लगाने से पैदल यात्रियों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ीं।
प्रशासनिक स्तर पर छठ महापर्व को लेकर सुरक्षा और स्वच्छता की व्यवस्था सुदृढ़ की गई है। गिद्धौर थाना पुलिस ने विभिन्न बाजारों और प्रमुख चौक-चौराहों पर गश्ती बढ़ा दी है। वहीं पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों के सहयोग से छठ घाटों की सफाई, सजावट, चूना छिड़काव और प्रकाश व्यवस्था का कार्य देर शाम तक पूरा कर लिया गया।
गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर, कुंधुर, सेवा, गंगरा, कोल्हुआ, मौरा, पतसंडा सहित अन्य पंचायत क्षेत्र के कई घाटों को आकर्षक रूप से सजाया गया है। घाटों पर बिजली की झालरों और रंग-बिरंगे फूलों से वातावरण आलोकित हो उठा है। शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारियां जोरों पर हैं। महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर पूजा सामग्री सजा रही हैं। हर घाट पर छठ गीतों की गूंज, बच्चों की उत्सुकता और दीपों की लौ से वातावरण पूरी तरह पवित्र और शांतिमय बना हुआ है।
स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि छठ केवल पूजा नहीं, बल्कि परिवार, समाज और पर्यावरण से जुड़ाव का उत्सव है। यह पर्व आत्मसंयम, पवित्रता और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करता है। गिद्धौर इन दिनों सचमुच आस्था की राजधानी बन गया है, जहां हर गलियों से “छठी मइया के जयकारे” गूंज रहे हैं, हर घर से रसोई की खुशबू फैल रही है और हर हृदय में श्रद्धा का दीप जल रहा है।
भक्ति, अनुशासन और लोकसंस्कृति की इस जीवंत झांकी में गिद्धौर इस बार फिर साबित कर रहा है कि छठ केवल पर्व नहीं, बल्कि बिहार की आत्मा की पहचान है।




 

 
 
 
 
 
