जमुई/बिहार। जिला विधिक सेवा प्राधिकार, जमुई के तत्वावधान में रविवार को प्रखंड के विट्ठलपुर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में एक विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन पैनल अधिवक्ता आलोक कुमार और पारा विधिक सेवक स्मिता कुमारी द्वारा किया गया। शिविर का मुख्य विषय नालसा की दिव्यांग बच्चों के लिए फिजिकल सेवा योजना रहा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पैनल अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि ईश्वर ने हर बच्चे को विशेष गुण और क्षमताओं से संपन्न किया है। इन विशेषताओं को निखारकर समाजोपयोगी बनाना अभिभावकों और शिक्षकों का दायित्व है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि दिव्यांग बच्चों में भी विशिष्ट प्रतिभाएं विद्यमान होती हैं, जिन्हें केवल सही अवसर और प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। समाज को चाहिए कि वह उन्हें बोझ न समझे, बल्कि समान अवसर देकर उनकी प्रतिभा को पहचानने और विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करे।
उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं तक बिना किसी भेदभाव के पहुंच मिलनी चाहिए। यही नहीं, उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा समाज और सरकार दोनों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। आलोक कुमार ने कहा कि उचित देखरेख और संरक्षण के साथ दिव्यांग बच्चे भविष्य में समाज की धरोहर साबित हो सकते हैं। इसलिए हमें उन्हें सम्मान देने और समान अवसर प्रदान करने की सोच विकसित करनी होगी।
शिविर के दौरान नालसा की अन्य योजनाओं जैसे महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और कमजोर वर्गों के लिए चलाई जा रही जनहितकारी पहल के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही, आगामी 13 सितंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंध में उपस्थित लोगों को जानकारी देते हुए अधिकाधिक लोगों से इसमें भाग लेने का आह्वान किया गया।
कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षक, ग्रामीण, अभिभावक और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में यह संदेश फैलाना था कि दिव्यांग बच्चों को उपेक्षित करने के बजाय उनके अधिकारों की रक्षा करते हुए उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना ही एक सशक्त और संवेदनशील समाज की पहचान है।