गिद्धौर/जमुई। सुहागिनों का महापर्व हरितालिका तीज इस बार 26 अगस्त (मंगलवार) को मनाया जाएगा। तीज की तिथि को लेकर महिलाओं में असमंजस बना हुआ था, क्योंकि मंगलवार को तृतीया तिथि दोपहर 12:39 बजे तक ही है। सवाल यह उठ रहा था कि क्या पूजा केवल 12:39 बजे तक ही करनी होगी या उसके बाद भी करना उचित है।
इस दुविधा पर प्रकाश डालते हुए गिद्धौर के गंगरा गांव निवासी संस्कृत आचार्य आशीष कुमार पांडेय ने स्पष्ट किया है कि पूजा का समय केवल तृतीया तक सीमित नहीं है। उन्होंने बताया कि चतुर्थी योग तीज पर्व के लिए निषिद्ध नहीं है। बल्कि इस दिन यदि तृतीया और चतुर्थी का संयोग हो तो इसे माता-पुत्र योग कहा जाता है, जिसे गौरी-गणेश योग भी कहा जाता है।
आचार्य पांडेय ने बताया –
तृतीया देवी गौरी की तिथि मानी जाती है जबकि चतुर्थी गणेश जी की। हर पूजन में सबसे पहले गौरी और गणेश दोनों की आराधना होती है। इसलिए तीज पर्व पर यदि चौथ का संयोग हो जाए तो यह और भी शुभ माना जाता है। इस स्थिति में बिना किसी संशय के महिलाएं रात्रिकाल में भी तीज की पूजा कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि तीज का पर्व न केवल सुहागिनों के अखंड सौभाग्य का प्रतीक है, बल्कि इसमें माता पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन की महिमा भी समाहित है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर माता गौरी की पूजा करती हैं और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से, इस बार तीज पर गौरी-गणेश योग का संयोग इसे और भी विशेष बना रहा है। आचार्य पांडेय ने महिलाओं से आग्रह किया कि वे निडर होकर इस पर्व की पूजा करें, चाहे दिन में करें या रात्रि में।