रतनपुर/गिद्धौर। महाराज चंद्रचूड़ विद्या मंदिर के पूर्व शिक्षक और हिंदी साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वरिष्ठ कवि विनय अश्म की दूसरी पुण्यतिथि उनके रतनपुर स्थित आवास पर श्रद्धा और सादगी के साथ मनाई गई। इस अवसर पर उनके पुत्र सुधांशु कुमार सिन्हा, परमानंद पुरुष और मधुर चांद की देखरेख में एक स्मृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत रामाश्राम सत्संग से हुई, जिसमें भाग लेने वाले साधकों ने आध्यात्मिक विचारों के माध्यम से जीवन और कर्म के गूढ़ ज्ञान को साझा किया। इसके बाद उपस्थितजनों ने विनय अश्म की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम में शामिल लोगों ने विनय अश्म को एक जिंदादिल, समाजसेवी और बहुआयामी प्रतिभा के धनी बताया, जिन्होंने शिक्षक के रूप में न सिर्फ ज्ञान बांटा, बल्कि साहित्यिक मंच 'लेकिन' के माध्यम से कई नवोदित लेखकों को भी दिशा दी।
पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने वालों में सुषमा तेजी, उपमा कुमारी, कल्पना कुमारी, नवीन कुमार सिन्हा, अंजनी कुमार सिन्हा, अष्टम, संगीता वर्मा, प्रीति भारती, अभिज्ञान, अभिनव, पुण्य प्रसून, नीलकमल, डायमंड, प्रीति सिन्हा, शानू, अतिशा, निमिषा, अंकू, अंशु, किशोर प्रसाद गुप्ता उर्फ मुशंडी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों के बीच सामूहिक भोज का आयोजन भी किया गया। गौरतलब है कि विनय अश्म का निधन 84 वर्ष की आयु में हुआ था। वे वर्ष 1999 में शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी साहित्यिक सेवाएं आज भी समाज में जीवित हैं।