जमुई/बिहार। विश्व मांसाहारी पौधा दिवस के अवसर पर पर्यावरण भारती संस्था द्वारा मातृत्व सेवा सदन परिसर में आम के वृक्ष का पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व पर्यावरण नारी शक्ति प्रांत टोली की सदस्य एवं जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी सिंह ने किया।
कार्यक्रम में पर्यावरण भारती के संस्थापक और पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक श्री राम बिलास शाण्डिल्य ने आम के वृक्ष के धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह वृक्ष शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आम के वृक्ष में भगवान हनुमान का वास माना गया है। इसके पत्तों का उपयोग पूजा, तोरण द्वार और कलश सज्जा में किया जाता है, वहीं इसकी लकड़ी से हवन जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
श्री शाण्डिल्य ने आम के वृक्ष की पर्यावरणीय भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह वृक्ष वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करता है, जिससे न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक विश्वासों के अनुसार आम का वृक्ष लगाने से 14 पीढ़ियों को पुण्य प्राप्त होता है।
डॉ. शालिनी सिंह ने जानकारी दी कि विश्व मांसाहारी पौधा दिवस पहली बार 7 मई 2020 को मनाया गया था। इसका उद्देश्य कीटभक्षी पौधों के प्रति जागरूकता फैलाना है। ये पौधे प्राकृतिक रूप से कीट नियंत्रण में सहायक होते हैं। विश्व में 700 से अधिक मांसाहारी पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें घटपर्णी और वीनस फ्लाईट्रैप भारत के प्रमुख कीटभक्षी पौधे हैं।
इस अवसर पर "पर्यावरण बचाना है, आम वृक्ष लगाना है" का संदेश भी दिया गया। कार्यक्रम में डॉ. वीणा सिंह, रानी हेम्ब्रम, पूजा कुमारी, सोनी कुमारी सहित अनेक पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए।