गिद्धौर/जमुई। जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड के मौरा और कोल्हुआ पंचायतों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। पटना उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में लगभग 70 वर्षों से अतिक्रमित एक सरकारी सड़क को बहाल करने का निर्देश दिया है, जिससे अब इन पंचायतों की 20 हजार से अधिक आबादी को जिला मुख्यालय तक आसान पहुंच मिल सकेगी। इस सड़क के निर्माण का मामला वर्ष 2008 से लंबित था। स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार अंचल अधिकारी, प्रखंड और जिला प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः ग्राम कुमरडीह निवासी बिमल कुमार मिश्रा द्वारा पटना हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका (मामला संख्या सीडब्ल्यूजेसी 3123/2023) पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सड़क निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है।
माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति श्री पार्थ सारथी की खंडपीठ ने 9 मई 2025 को मौखिक निर्णय सुनाते हुए कहा कि जिस भूमि पर सड़क बनाई जानी है, उस पर खड़े पेड़ों को काटने की अनुमति वन विभाग ने पहले ही दे दी है। अब किसी प्रकार की रुकावट शेष नहीं है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सड़क निर्माण कार्य चार महीने की समयसीमा में पूर्ण किया जाए।
ग्रामीणों ने बताया कि यह सड़क पूर्वी कोल्हुआ, महादलित टोला कुमरडीह, सिमेरिया, ललमटिया, गेरुआडीह, धोबघट, महादलित टोला प्रेम नगर और पूरे मौरा पंचायत को जिला मुख्यालय से जोड़ेगी। यह रास्ता 1951-52 में गलत ढंग से बने एक परवाने और बाद में हुई जमाबंदी के चलते अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया था। दबंगों द्वारा इस रास्ते पर आवागमन रोक दिया गया था, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। यहां तक कि पारिवारिक रिश्ते भी इस दूरी के कारण टूट गए। अब उच्च न्यायालय के आदेश से इन पंचायतों के लोगों को न्याय मिला है और वर्षों की पीड़ा का अंत होने जा रहा है।
स्थानीय निवासी बिमल कुमार मिश्रा के अनुसार, यह फैसला न्याय व्यवस्था में विश्वास को और मजबूत करता है।