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लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न, मोदी बोले - देश के विकास में उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता



नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी। 


मोदी ने लिखा " मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न दिया जाएगा। मैंने उनसे बात की और उन्हें बधाई दी है। वे हमारे समय के सबसे सम्मानित स्टेट्समैन हैं। देश के विकास के लिए उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता। उन्होंने जमीनी स्तर से काम शुरू किया था और वे देश के उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। "


इससे पहले 23 जनवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने का एलान किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 24 जनवरी को उनकी 100 वीं जयंती से एक दिन पहले यह घोषणा की। कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे। वे पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे।

    

आडवाणी का जन्म 08 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था। 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 07 वें उप-प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले 1998 से 2004 के बीच एनडीए सरकार में गृहमंत्री रहे। वे भाजपा के फाउंडर मेंबर्स में शामिल हैं। 2015 में उन्हें पद्म विभूषण मिला था।

     

आडवाणी के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वालंटियर के तौर पर हुई थी।  आडवाणी 1970 से 1972 तक जनसंघ की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहे। 1973 से 1977 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।  1970 से 1989 तक वे चार बार राज्यसभा के सदस्य रहे। इस बीच 1977 में वे जनता पार्टी के महासचिव भी रहे।  


1977 से 1979 तक वे केंद्र में मोरारजी देसाई की अगुआई में बनी जनता पार्टी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे। वे 1986-91 और 1993-98 और 2004-05 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 1989 में वे 09 वीं लोकसभा के लिए दिल्ली से सांसद चुने गए।  1989-91 तक वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। 


1991 , 1998, 1999 , 2004 , 2009 और 2014 में वे गांधीनगर से लोकसभा सांसद चुने गए।  1998 से लेकर 2004 तक एनडीए सरकार में गृह मंत्री रहे। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2002 से 2005 तक उप प्रधानमंत्री भी रहे।  2015 में उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों उन्होंने यह सम्मान प्राप्त किया।

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