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लोकप्रियता के चरम पर है गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव, जानिए कैसे बदलते सालों में आया परिवर्तन

गिद्धौर/जमुई। गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन गिद्धौर स्थित कुमार सुरेंद्र सिंह स्टेडियम के मैदान पर 20 और 21 अक्टूबर को किया जा रहा है। बिहार सरकार , कला , संस्कृति एवं युवा विभाग के सौजन्य से आयोजित होने वाले दो दिवसीय महोत्सव की तैयारी जोर - शोर से जारी है।

इस बार 20 अक्टूबर को जहां नामचीन कलाकार विनोद राठौर सुरों की महफिल सजाएंगे वहीं 21 अक्टूबर को नालंदा संगीत कला विकास संस्थान के फनकार अपनी उत्कृष्ट कलाओं से कार्यक्रम को यादगार बनाएंगे। जिला प्रशासन की देखरेख में कुमार सुरेंद्र सिंह स्टेडियम के मैदान पर मंच , पंडाल आदि का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इलाके के नागरिकों में गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव को लेकर उमंग और उत्साह देखा जा रहा है।

सर्वविदित है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं गिद्धौर निवासी दिवंगत दिग्विजय सिंह ने भारतीय सांस्कृतिक संबद्ध परिषद , नई दिल्ली के सहयोग से वर्ष 2003 में दुर्गापूजा के पावन अवसर पर गिद्धौर फाउंडेशन के बैनर तले "गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव" की शुरुआत की थी। शारदीय नवरात्र के मौके पर 2006 तक लगातार इसका आयोजन किया गया जिसमें मन्ना डे , बप्पी लहरी , अनूप जलोटा , पीनाज मसानी , कमलनी , नलननी जैसे प्रसिद्ध कलाकारों ने गायन , वादन और नृत्य प्रस्तुत कर लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। अपरिहार्य कारणों के चलते बीच में यह महोत्सव थम गया। कालक्रम में 2010 में दिग्विजय सिंह दिवंगत हो गए। गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव भी शोकाकुल हो गया।
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान क्षेत्रीय विधायक सह गिद्धौर निवासी दामोदर रावत ने इसे जीवंत बनाने का भागीरथी प्रयास किया। उनके दृढ़ संकल्प और अथक प्रयास के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गिद्धौर की विलुप्त हो रही सांस्कृतिक गतिविधियों को पुनः सजीव करने का आदेश जारी किया। कला , संस्कृति एवं युवा विभाग ने इस महोत्सव को 2018 में पुनः आयोजित किए जाने का जिला प्रशासन को निर्देश दिया। कोरोना काल 2020 में यह आयोजन एकबार फिर कोमा में रहा। इसके बाद गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव दुर्गापूजा के पावन अवसर पर हर साल आयोजित किया जा रहा है , जिसका लुफ्त यहां के नागरिक जमकर उठा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि जमुई जिले का पतसंडा नगर जो अब गिद्धौर के नाम से परिचित है , यह एक राज रियासत थी। इसकी स्थापना हैहयवंशी चंदेल राजा वीर विक्रम सिंह चंदेल ने 1266 ई. में की थी। इसका अंत 1952 ई. में हुआ। इस वंश के नौवें राजा पुरनमल सिंह चंदेल ने देवघर में बाबा वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण कराया जो इस राजवंश की अमिट निशानी है।

ज्ञात हो कि गिद्धौर पहले लक्ष्मीपुर प्रखंड का हिस्सा था। 1994 में इसे अलग प्रखंड का दर्जा दिया गया। वर्तमान में गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव इलाके के लिए गौरव की बात बन गई है। देश दुनिया में इसकी चर्चा गर्व के साथ की जाती है जो गिद्धौर के गौरवशाली इतिहास को जीवंत बनाता है।

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