(मां महालक्ष्मी की प्रतिमा को अंतिम रूप देते मूर्तिकार राजकुमार रावत) |
विजयादशमी के बाद शरद पूर्णिमा के अवसर पर दुर्गा मंदिर में विधि विधान पूर्वक मां महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। जिसे देवघर के विद्वत पंडा महेश्वर जी महाराज निष्पादित करवाते हैं। यहां की मां महालक्ष्मी की ख्याति दूर-दूर तक है। भक्तों की उन्नति, प्रगति, संपन्नता, धन–धान्य और वैभव की मन्नतें यहां पूरी होती है।
ज्ञातव्य हो कि गिद्धौर राज रियासत की परंपरा बंगाली संस्कृति से भी मेल करती है। जिसके तहत बंगाल के क्षेत्रों में होने वाले लक्खी पूजा के तर्ज पर गिद्धौर में उलाई, नागी एवं नकटी नदी के संगम तट पर स्थित ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर में शरद पूर्णिमा पर मां महालक्ष्मी की पूजा होती है। प्रतिमा निर्माण स्थानीय मूर्तिकार राजकुमार रावत एवं उनके सुपुत्र संदीप, शुभम एवं सौरभ द्वारा किया जा रहा है।
गिद्धौर के राज ज्योतिषाचार्य डॉ. विभूति नाथ झा ने पूजा का समय शनिवार, आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की शाम 6:05 बजे के बाद 7:15 बजे के बाद का बताया है। पूजा कार्यक्रम के बाद श्रद्धालु मां महालक्ष्मी की प्रतिमा का दर्शन पूजन करेंगे। वहीं कार्तिक प्रतिपदा रविवार को स्थानीय त्रिपुर सुंदरी तालाब में प्रतिमा विसर्जन किया जायेगा।
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