* रिपोर्ट : चंद्रशेखर आजाद
* संपादन : सुशांत
अमूमन सभी लोग जानते है कि दुर्गा माता की पूजा अर्चना आश्विन व चैत्र महीनों में होती है। लेकिन जमुई जिले के अलीगंज प्रखंड का दरखा एक ऐसा गांव है जहां लगभग सैंकड़ों वर्षो से वैशाखी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर बड़े ही धूम-धाम से दुर्गा माता की पूजा अर्चना की जाती है।
एक सौ वर्ष पूर्व से ही वैशाख महीना में माता की प्रतिमा स्थापित की जा रही है पूजा। यहां एक सौ वर्षो से वैशाख महीना में माता दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना कर गांव के ही विद्वान ब्राह्मण स्व. जगदीश चन्द्र पाण्डेय के द्वारा वर्ष 1941से पहले माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की गई थी। पहले तो कुछ दिनों तक एक वृक्ष के नीचे माता की प्रतिमा की स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती थी, लेकिन अब भव्य मंदिर बन रही है।
दूर-दूर के लोग आते है मिन्नत मांगने, अवश्य पूरी होती है मनोकामनाएँ
बुजुर्ग लोग बताते है कि जगदीश चन्द्र पाण्डेय जी को कोई संतान नहीं था। उन्होंने संतान उत्पति को लेकर मन्नत मांगी कि अगर संतान उत्पति हुई तो वैशाखी दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना कर पूजा अर्चना करेंगे। इसके कुछ दिनों के बाद उन्हे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जिसके बाद उन्होनें वैशाख महीना में माता दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की और पूजा-अर्चना करने लगे। पांच वर्षो तक वे अकेले वैशाखी दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना कर पूजा अर्चना करने लगे। फिर गांववासियों द्वारा मिलकर माता की प्रतिमा स्थापित पूजा अर्चना की जा रही है।
इलाके में प्रसिद्ध है माता का प्रसिद्धि
दरखा की वैशाखी दुर्गा माता की पूजा-अर्चना इलाके में प्रसिद्ध है। यह बिहार राज्य ही नहीं बल्कि दुनिया में पहला गांव है जहां वैशाख महीना में माता दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है। वैसे ही हुबहू जैसे आश्विन और चैत महीनों में होती है। नवरात्र की तरह ही नौ दिनों तक पाठ हवन के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सप्तमी की रात माता की पट खुलती है। नवमी के दिन भुआ की बलि दी जाती है। साथ ही विजय दशमी के दिन भव्य मेला लगता है।
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