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अभिनेता शैलेंद्र श्रीवास्तव ने की दिव्या शर्मा की "कैलेंडर पर लटकी तारीख़ें" पुस्तक की समीक्षा

युवा कथाकार-कवयित्री दिव्या शर्मा इन दिनों चर्चा में हैं। उनकी लघु कथा संग्रह “कैलेंडर पर लटकी तारीख़ें” ही चर्चा की वजह है। अभी हाल ही में प्रकाशित हुई यह पुस्तक पाठकों द्वारा बेहद पसंद की गई है। वहीं आलोचकों ने भी इसे सराहा है।

इसी कड़ी में प्रसिद्ध अभिनेता शैलेंद्र श्रीवास्तव ने भी दिव्या शर्मा की इस लघु कथा संग्रह को पढ़ने के बाद समीक्षा की है। बता दें कि अभिनेता शैलेंद्र श्रीवास्तव की पहचान टीवी सीरियल शाका लाका बूम बूम के तांत्रिक जो जादुई पेंसिल ढूंढते हैं, के रूप में है। इसके अलावा वे फ़िल्म बम-बम बोले, सीरियल जय हनुमान में भी अभिनय कर चुके हैं।

पढ़िए अभिनेता शैलेंद्र श्रीवास्तव के ही शब्दों में दिव्या शर्मा की लघु कथा संग्रह "कैलेंडर पर लटकी तारीखें" पुस्तक की समीक्षा।

मेरी प्रिय मित्र दिव्या शर्मा ने अपना लघु कथा संग्रह “कैलेंडर पर लटकी तारीख़ें” कुछ दिनों पूर्व मुझे भेजा था। अवसर मिलते ही सम्पूर्ण ८८ अतिसुन्दर लघु कथाओं को पढ़ गया।

दिव्या एक सुशिक्षित, विदुषी, उभरती हुई प्रभावशाली कथाकार, कवियत्री हैं। शब्द सामर्थ्य की धनी हैं। प्रस्तुत संग्रह में उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों के चरित्रों की, विभिन्न मानसिकता के व्यक्तियों की भावनाओं को, उनके संघर्षों को, समस्याओं को, बड़ी सहजता से दर्शाया है।
भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ है।

कथाओं में क्षेत्रीय भाषा के शब्दों के साथ ही आँग्ल-भाषा के दैनिक बोल-चाल में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को भी समुचित रूप से समाहित किया गया है। और ये प्रयोग बातचीत का एक अदभुत वास्तविक प्रभाव उत्पन्न करता है। विभिन्न पाठक गण कई पात्रों में स्वयं को ढूँढ पाएँगे, कुछ से सम्बन्ध जोड़ पाएँगे।

भविष्य में अवसर प्राप्त होने पर, एक अभिनेता होने के नाते इस संग्रह के बहुत सारे पात्रों को मैं कहीं ना कहीं जीवन्त करना चाहूँगा।

लघु फ़िल्म निर्देशकों एवं निर्माताओं से मेरा आग्रह है कि वो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें। मुझे विश्वास है वो इस संग्रह की कई कथाओं से प्रभावित होंगे और लघु फ़िल्म भी बनाना चाहेंगे।

साहित्य रसिक प्रबुद्ध पाठक भी निश्चित रूप से इन लघु कथाओं से आनंदित होंगे। दिव्या शर्मा जी, मेरी कामना है कि आप ऐसे ही निरन्तर साहित्य सृजन करती रहें और अपने पाठकों को अपनी कथाओं से मंत्रमुग्ध करतीं रहें।आपके उज्ज्वल भविष्य, सार्थक लेखन हेतु मेरी हार्दिक अशेष शुभकामनाएँ एवं साधुवाद।

ये पुस्तक इन लिंक्स पर उपलब्ध है-

साहित्य विमर्श : https://www.sahityavimarsh.in/calender-par-latki-tareekhen/

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