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गिद्धौर निवासी कवि प्रभात सरसिज के कविता संग्रह "कांटों की सहोदरा हैं कलियां" का हुआ लोकार्पण

गिद्धौर/पटना/बिहार (Gidhaur/Patna/Bihar), 27 मार्च : गिद्धौर निवासी वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज के कविता संग्रह "कांटों की सहोदरा हैं कलियां" का लोकार्पण रविवार को पटना में किया गया। विमोचन के अवसर पर पटना के कई नामचीन कवि-साहित्यकार उपस्थित हुए।

गौरतलब है कि प्रभात सरसिज की काव्य पुस्तक "कांटों की सहोदरा हैं कलियाँ" हाल ही में सर्व भाषा ट्रस्ट के द्वारा प्रकाशित हुई है। यह मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग, बिहार सरकार के अंशानुदान से मुद्रित हुई है।

लोकार्पण समारोह में साहित्यकार  ध्रुव गुप्त, मुकेश प्रत्यूष, अवधेश अमन, शहंशाह आलम, राजकिशोर राजन, राजेश दूबे आदि उपस्थित हुए।
यह कार्यक्रम दो सत्रों में चला। पहले सत्र में प्रभात सरसिज ने अपनी चयनित कविताओं का पाठ किया तथा उपस्थित रचनाकारों ने इस संग्रह पर अपने विचारों को प्रस्तुत किया। दूसरे सत्र में उपस्थित कवियों ने अपनी पसंदीदा कविताओं का पाठ किया। 

मौके पर उपस्थित मुकेश प्रत्यूष ने प्रभात सरसिज की कविताओं पर बोलते हुए कहा कि प्रभात सरसिज योद्धा कवि हैं जिन्होंने अपने विचारों से कभी समझौता नहीं किया। ध्रुव गुप्त ने इस अवसर पर प्रभात सरसिज को शुभकामनाएं दीं। शहंशाह आलम ने प्रभात सरसिज की कविता संसार को प्रतिरोध का संसार कहा जबकि राजकिशोर राजन ने प्रभात सरसिज की कविताओं को एक विरल कवि  की आवाज़ कहा।
यह कार्यक्रम जनशब्द की तरफ से आयोजित किया गया। विदित हो कि प्रभात सरसिज लंबे समय से साहित्य कर्म से जुड़े रहे हैं और इससे पूर्व उनके दो काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। प्रभात सरसिज मूल रूप से जमुई जिलान्तर्गत गिद्धौर के रहने वाले हैं। वे जनचेतना कवि के रूप में जाने जाते हैं। उनकी अन्य कविता संग्रह 'लोकराग', 'गजव्याघ्र', 'आवारा घोड़े', 'मुल्क में मची है आपाधापी' उनके प्रशंसकों के साथ-साथ आलोचकों द्वारा भी सराही गई है। लेखन में उनके योगदान को देखते हुए विभिन्न बड़े मंचों पर उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।

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