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बढ़ते कोरोना से स्कूल बंद, पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में बच्चे बाहर, 15-18 वैक्सीनेशन नहीं पकड़ रहा रफ्तार

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 13 जनवरी | सुशान्त साईं सुन्दरम : कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर तेजी से लोगों को अपने चपेट में ले रही है. पॉजिटिव केसेज़ का आंकड़ा जिले में रोजाना तेजी से बढ़ते देख लोग महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आ रहे हैं.

घनी धुंध व कड़ाके की सर्दी के बीच भी स्वास्थ्य विभाग के लोग निर्धारित वैक्सीनेशन केंद्रों पर महामारी से बचाव के लिए टीका लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. साथ ही डोर टू डोर वैक्सीनेशन कार्यक्रम भी लगातार जारी है.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को चिन्हित कर कोरोना की पहली व दूसरी डोज लगाई जा रही है. इसके अलावा विभाग द्वारा बूस्टर डोज भी लगाई जा रही है. हालांकि 15 से 18 आयुवर्ग के बच्चों को भी महामारी से बचाव के लिए तीन जनवरी से प्रधानमंत्री द्वारा वैक्सीन लगाए जाने की घोषणा की गई थी, परंतु कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों में छुट्टी हो जाने से बच्चों के वैक्सीनेशन की संख्या गति नहीं पकड़ रही है.

इसके अलावा इलाके के 15 से 18 वर्ष तक के बच्चे बड़ी संख्या में घरों से बाहर पठन-पाठन के लिए रह रहे हैं. उच्च शिक्षा की तैयारी करने और पढ़ाई करने के लिए बच्चे अपने घरों से बाहर हैं, ऐसे में इस आयुवर्ग के बच्चों की जो संख्या विभाग के पास उपलब्ध है, उससे काफी कम संख्या में बच्चों का वैक्सीनेशन हो पा रहा है.

15 से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए सरकार ने सभी बीएलओ को निर्देशित किया है कि वे घर-घर से इस आयुवर्ग के बच्चों को चिन्हित कर उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाव का टीका लगवाएं. कुछ बीएलओ से बातचीत में उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा निर्देशित है कि इस आयु के लिए तैयार सूची में से 60 से 65 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण करवाना सुनिश्चित करें, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा. जब वे डोर टू डोर विजिट के लिए जा रहे हैं तो मालूम पड़ रहा है कि बच्चे अपने घरों में हैं ही नहीं. जो बच्चे घरों में हैं, उन्हें बड़ी मुश्किल से टीकाकरण के लिए जागरूक कर राजी करना पड़ रहा है.

ऐसे में यदि विभाग बच्चों को वैक्सीन लगाए जाने का लक्ष्य जल्द हासिल नहीं करता है तो आने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं के समय मुश्किल आ सकती है.

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