नई दिल्ली, 27 नवंबर : पर्यावरणीय पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया जाने वाला अनुपम मिश्र मेमोरियल मैडल 2021 के लिए अभय मिश्र को प्रदान किया गया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पर्यावरणीय पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है।
नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा, एनएमसीजी के डीजी राजीव रंजन मिश्र की गरिमामयी उपस्थिती में यह पुरस्कार प्रदान किया गया। कोविड प्रतिबंधों के चलते इस बार समारोह को ऑनलाइन रखा गया था। अभय मिश्र इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र से जुड़े हैं और वहां नदी संस्कृति पर शोध कार्य कर रहे हैं। उन्हे इसी साल पूर्व सैन्यकर्मियों द्वारा अतुल्य गंगा पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
अभय मिश्र पिछले दो दशकों से नदी और नदी पथ के समाज पर लेखन कर रहे हैं। उनमें नदियों की यात्राएं कर उनकी संस्कृति को समझने की ललक है, वे पूरे गंगा पथ गोमुख से गंगासागर तक की चार बार यात्रा कर चुके हैं। नदियों पर उनके दो सौ से ज्यादा लेख प्रकाशित हैं।
पंकज रामेंदु के सहलेखन में लिखा गया फिक्शनल ट्रेवलॉग किताब ‘दर दर गंगे’ अंतरराष्ट्रीय सूर्खियां बटोर चुका है। हॉल ही में प्रकाशित ‘चुल्लू भर कहानी’ पुस्तक में गंगा पथ के बदलते समाज की कहानियां है। अभय मिश्र द्वारा लिखित उपन्यास ‘माटी मानुष चून’ गंगा के भविष्य को दिखाता कथानक है। जो बताता है कि गंगा के साथ समाज और सरकार का व्यवहार इसी तरह रहा तो महज तीन चार दशक बाद गंगा मानव निर्मित और नियंत्रित धारा में बदल जाएगी, जिसमें गंगा वाटर होगा गंगाजल नहीं।
अनुपम मिश्र मेमोरियल मैडल इंडिया रिवर फोरम द्वारा हर साल इंडिया रिवर वीक के दौरान दिया जाता है। इंडिया रिवर फोरम पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों और व्यक्तियों का समूह है। जिसमें देश के जाने माने पर्यावरणविद् और पर्यावरण कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं।
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