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पटना : 'वर्ल्ड होस्पीस एंड पैलियेटिव केयर डे' पर महावीर कैंसर संस्थान में कार्यक्रम आयोजित


पटना (Patna), 8 अक्टूबर | शुभम मिश्र :  देश के प्रसिद्ध कैंसर चिकित्सा संस्थानों में शुमार महावीर कैंसर संस्थान पटना में शुक्रवार को 'वर्ल्ड होस्पीस एण्ड पैलियेटिव केयर डे' पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका थीम 'लीव नो वन बिहाइंड' (Leave No One Behind) था।

कार्यक्रम का शुभारम्भ क्रमशः अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर, स्वागत अभिभाषण से किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन संस्थान की चिकित्सक डाॅ. रजनी ने की। वहीं मंच की अध्यक्षता संस्थान की पैलियेटिव केयर इंचार्ज डाॅ. रीता रानी ने की।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पटना की सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी थी।

अन्य अतिथियों में एम्स पटना की रेडियेशन विभागाध्यक्ष डॉ. प्रितांजलि सिंह, डॉ. अभिषेक, इन्दिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ. राजेश, महावीर कैंसर संस्थान की निदेशक डॉ. मनीषा सिंह, संस्थान के अधीक्षक डॉ. एल. बी. सिंह, रेडियेशन विभागाध्यक्ष डॉ. विनीता त्रिवेदी ने विषयानुरूप अपनी बातों को रखा। इस बीच अतिथि चिकित्सकों को मोमेंटो दिया गया।
डॉ. विभा ने बताया कि मरीज का समय पर इलाज़ होना पैलियेटिव केयर के अनुसार ही संभव है। उन्होंने कहा कि मरीजों को चिकित्सा करने से पूर्व मानसिक तौर पर सांत्वना देनी चाहिए ताकि उनमें सकारात्मकता पैदा हो।वहीं डॉ. एल.बी सिंह ने कार्यक्रम में मौजूद चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को रोगियों या उनके परिजनों से मधुर व्यवहार करने की अपील की। डॉ. राजेश ने कहा कि जहां तक संभव हो रोगी को आरामदेह तरीकों से रहने के लिए मदद और उपकरणों की व्यवस्था करनी चाहिए, जो उनके धार्मिक एवं सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने में भी मददगार हो।

वहीं संस्थान की निदेशक डॉ. मनीषा ने कहा कि रोगियों की पीड़ा को दूर करने एवं लक्षणों का प्रबंध करने हेतु दवाईयों एवं अन्य थेरेपी का उपयोग करना चाहिए। इस दौरान संस्थान की पैलियेटिव केयर इंचार्ज डॉ. रीता रानी ने बताते हुए कहा कि अपने परिवार एवं समाज में जब लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित होकर हिम्मत हार जाते हैं तो पैलियेटिव केयर उन्हें जीवन जीने की चाह देती है।इस चिकित्सकीय पद्धति द्वारा रोगी के आयु में वृद्धि होते हुए भी देखी गई है। उन्होंने पैलियेटिव केयर के बारे में बताते हुए निम्नांकित बातों पर ध्यान देने को कहा 

  • सर्व प्रथम रोगी की पीड़ा को कम करने की व्यवस्था करनी चाहिए। चाहे वो दवाई या अन्य थेरेपी से हो ।
  • रोगी एवं उनके परिजनों को मानसिक सांत्वना देने के साथ-साथ उनके साथ व्यवहार कुशल होना चाहिए।
  • उनके अध्यात्मिक,धार्मिक या सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने में भी मददगार होना चाहिए।
  • स्वास्थ्य कर्मियों या अन्य प्रदाताओं को नियमित रूप से रोगी का निरीक्षण करना चाहिए। जिससे उन्हें संतुष्टि मिले।

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी बहुत सारी बातें हैं जिस पर स्वास्थ्य कर्मियों एवं समाजिक स्वयंसेवकों को भी ध्यान देना चाहिए जिससे जरूरतमंद लोगों को मदद मिल सके।कार्यक्रम के अंत में सिस्टर एमली, हीना, प्रतिभा, अनुप्रिया ने थीम के अनुरूप नाटक कर लोगों को जागरूक किया, जिसकी लोगों ने बहुत सराहना की।

उक्त अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ऋचा चौहान, डॉ. मुकुल मिश्रा, डॉ. उषा, डॉ. कंचन, डॉ. राजीव, डॉ. पी. सी. झा सहित अन्य चिकित्सकों के अलावे संस्थान के छात्र एवं स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।

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