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गिद्धौर में हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी ईद-उल मिलादून नबी , निकला जुलूस

 

Gidhaur/ गिद्धौर :- मंगलवार को प्रखंड मुख्यालय गिद्धौर में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म दिवस मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा धूम धाम से मनाया गया। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के जामा मस्जिद गिद्धौर के इमाम साहब नाजिम अंसारी  ने लोगों से कहा कि इस्लाम धर्म के अंतिम प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब का व्यक्तित्व सत्य और सद्भावना से पूर्ण था। उनके कर्म आपसी भाईचारे और अमन चैन का समाज में पैगाम देते हैं। पैगंबर मोहम्मद हजरत साहब धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर थे। लिहाजा किसी भी किस्म की फसाद जो सामाजिक सौहार्द के ताने बाने को बिगाड़ता हो, उसे वो नापसंद करते थे।  मोहम्मद साहब अमन और सुकून के हिमायती थे,वो मानते थे कि समाज की खुशहाली की इमारत आपसी भाईचारे व अमन चैन की बुनियाद पर कायम हो सकती है। 


कुरान के तीसवें पारे के अध्याय की सूरे काफेरून की आयत में अल्लाह ने कहा है कि लकुम दीनोकुम वलेयदन यानी तुम्हें तुम्हारा मजहब मुबारक और मुझे मेरा मजहब मुबारक । हम अपने अपने मजहबी अकीदे पर रहें, यानी अपने अपने धर्म में श्रद्धा बनाए रखें. कुरआन की उक्त आयत को हजरत मोहम्मद ने अपने आचरण और व्यवहार में लाकर धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल आम अवाम के समक्ष प्रस्तुत की थी । हजरत पैगंबर मोहम्मद साहब के 09 मुख्य संदेश में हजरत मोहम्मद ने कहा है कि अल्लाह की लानत नाजिल होती है. उन नौ समूहों के संदेश में पर जो मद है, जो शराब बनाए, जिसके लिए शराब बनाई जाए, जो उसे पिए, जिस तक पहुंचाई जाए, जो उसे परोसे, जो उसे बेचे, जो इससे अर्जित धन खर्चे, वह जो इसे खरीदे और जो किसी दूसरे के लिए खरीदे यदि तुम अल्लाह से प्रेम करते हो तो उसकी बनाई सृष्टि से प्रेम करो. अल्लाह उससे मोहब्बत करता है, जो उसके बंदों के साथ भलाई करता है,जो प्राणियों पर रहम करता है, अल्लाह उस पर रहम करता है। रहमदिली ईमान की निशानी है, जिसमें रहम नहीं उसमें इंसानियत नहीं । किसी का ईमान पूरा नहीं हो सकता जब तक कि वह साथी को अपने बराबर न समझे। अधर्म को सहन किया जा सकता है, मगर जुल्म और अन्याय को नहीं. पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के इन्ही उम्दा सोच से इस्लामिक समाज में उन्होंने अपनी एक उम्दा जगह बनायी थी,जिसे आज भी इस्लामिक समाज के लोग उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हैं। 

इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिवस पर जुलूस में शामिल हो शांति व सौहार्द का पैगाम दिया। इस मौके पर जुलूस में मोहम्मद मोहम्मद जाकिर खान, फयाज खान, सरफराज  खान, ताजुद्दीन अंसारी, आफताब अंसारी, असगर  खान, मोहम्मद साहिद के अलावे दर्जनों मुस्लिम समुदाय के धर्मावलंबी मौजूद थे।

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