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गिद्धौरिया बोली में ग़ज़ल से सुसज्जित पुस्तक 'धोरैया' को अमेजॉन ने दी जगह, साहित्यकार ज्योतिन्द्र मिश्र का रंग लाया प्रयास

 


Gidhaur/गिद्धौर (अभिषेक कुमार झा) :- गिद्धौर के संस्कृति और सभ्यता को परिलक्षित करने वाली गिधौरीया बोली अब गजल के रूप में गांव गांव तक पहुंचेगी। सम्पूर्ण जमुई जिला में बोली जाने वाली गिधौरिया बोली को गुमनामी के अंधेरे से निकालकर माँगोबन्दर गांव निवासी सुप्रतिष्ठित साहित्यकार एवम बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिंदी सेवी सम्मान से अलंकृत गीतकार ज्योतिन्द्र मिश्र ने गजल की विधा में इस बोली को संरक्षित और संग्रहीत करने का सफल प्रयास किया है। इस पुस्तक को प्रकाहीत करने में जहां नई दिल्ली स्थित संस्था सर्व भाषा ट्रस्ट का महत्वपूर्ण योगदान है वहीं, ग्लोबल बाज़ार अमेजॉन ने भी इस पुस्तक को स्थान दिया है। 

पुस्तक के लेखक साहित्यकार ज्योतिन्द्र मिश्र ने बताया कि पुस्तक के माध्यम से साहित्य की संस्कृति को विकसित करने का प्रयास किया गया है। देश के कोने कोने से जुड़े हमारे सर्जक इस संस्कृति को संस्कार में बदलने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि गिद्धौरिया बोली उनका स्वाभिमान भी है और गिद्धौर परिक्षेत्र की पहचान भी । धौरेया पुस्तक उसी भाव का एक उदाहरण है ।



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