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जमुई : पैसराहा गांव की महिलाएं दोना - पत्तल से अर्जित कर रही है जीविकोपार्जन, DM ने सराहा

 JAMUI /  जमुई (बिभूति भूषण) :-

शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर बरहट प्रखंड के पैसराहा गांव की  महिलाएं मशीन से दोना - पत्तल बनाकर अपनी जिंदगी बदल रही हैं। उनका बनाया दोना - पत्तल शादी - विवाह में खूब इस्तेमाल हो रहा है। हाल ही में महिलाओं ने जमुई , मुंगेर , बांका , भागलपुर आदि शहरों को दोना - पत्तल आपूर्ति कर हजारों रुपये का मुनाफा कमाया है। इन दिनोें महिलाओं के इस समूह को आस - पास के गांवों से अच्छा - खासा ऑर्डर मिल रहा है , जिसे पूरा करने में वे सभी व्यस्त हैं। जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि नक्सल प्रभावित  क्षेत्र पैसराहा गांव की आदिवासी महिलाएं दोना - पत्तल बनाने का काम करती चली आ रही हैं। वे सभी परंपरागत ढंग से दोना - पत्तल बनाकर सीमित लाभ कमाती थी। उन्होंने आगे कहा कि जिला प्रशासन ने उनकी जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए जीविका के सौजन्य से सूरज पत्तल उत्पादक समूह को दोना - पत्तल निर्माण करने वाला मशीन मुहैया कराया। समूह की महिलाएं इस मशीन के जरिये प्रतिदिन करीब 2000 दोना - पत्तल का उत्पादन कर जमुई में संचालित सामुदायिक रसोई के साथ अन्य शहरों को भी इसका आपूर्ति कर रही हैं और मोटा मुनाफा कमा रही हैं। समूह की महिलाएं जंगल से पत्ता इकट्ठा करती हैं और मशीन से दोना - पत्तल बनाकर मांग के अनुसार आपूर्ति करती हैं। आधुनिक मशीन के जरिये पत्तल निर्माण से जहां आदिवासी महिलाओं की जिंदगी बदलने लगी है वहीं उन्हें बेरोजगारी से भी मुक्ति मिलने लगा है। महिलाओं में यह कार्य इसलिए भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी बदलने लगी है। उनकी सामाजिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव आने लगा है।डीएम श्री सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन महिलाओं के उत्थान के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने हर वर्ग की महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में शामिल होने का निमंत्रण देते हुए कहा कि आपकी तरक्की पर ही जिला और राज्य का विकास संभव है। दोना - पत्तल उत्पादन से जुड़ी महिला काजल मुर्मू , विमला मुर्मू आदि ने बताया कि हाथ से बना पत्तल 35 रुपये सैकड़ा बिकता था वहीं मशीन से निर्मित पत्तल 95 रुपये सैकड़ा बिकने लगा है। उन्होंने मोटा मुनाफा होने की जानकारी देते हुए कहा कि इस काम में पुरूष भी संलग्न होकर अच्छा - खासा लाभ कमाने लगे हैं। उन्होंने आगे कहा कि 23 जीविका दीदियों का यह उत्पादक समूह अबतक 26 हजार पत्तल और 12 हजार दोना की बिक्री कर चुका है और वांछित लाभ कमा चुका है।

EDITED BY : Abhishek Kr. Jha

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