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जमुई : शहर के आधा दर्जन निजी क्लीनिक बंद, डॉक्टर दे रहे हैं संक्रमण की दुहाई

न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-

 जिले में बढ़ते कोरोना संक्रमण की लहर को देखते हुए इन दिनों शहर के लगभग आधा दर्जन निजी क्लीनिक ने स्वयं को क्वेरेंटिंन कर लिया है, जिससे साधारण रोगों के इलाज के लिए आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, जिला मुख्यालय के आसपास की एक बड़ी आबादी सदर अस्पताल के भरोसे हो गयी है। जबकि कोविड - 19 संक्रमण के खतरे के डर से साधारण रोगों से ग्रस्त मरीज सदर अस्पताल जाने से परहेज कर रहे हैं। वहीं, निजी क्लीनिक पर लटकने वाले ताले से इन मरीज़ों की परेशानी बढ़ा दी है । 

बन्द पड़ा जमुई का एक निजी क्लिनिक

- निजी क्लीनिक के पास पसरा है सन्नाटा -

कोरोना खतरे की आशंका कहे या भय, पर निजी क्लीनिक के बंद होने से आम लोगों के बीच दहशत का माहौल बन गया है। क्योंकि निजी क्लीनिक में साधारण बीमारी जैसे डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, पेट दर्द, सर दर्द, हार्ट व कई सिजेरियन मामले का इलाज  बड़े पैमाने पर किया जाता था। बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर अचानक निजी क्लीनिक के बंद होने के कारण इन मरीजों का चेकअप बंद हो गया।  शहर स्थित दर्जनों निजी क्लीनिकों में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मरीज पहुंच कर अपना या अपने परिवार का इलाज कराते थे, लेकिन आज इन सभी क्लीनिकों में सन्नाटा पसरा हुआ है।

- आम मरीज के लिए आउट ऑफ स्टेशन हैं डॉक्टर साहब

रविवार को gidhaur.com टीम द्वारा इसकी पड़ताल की गयी तो शहर के जमुई-मलयपुर मुख्यमार्ग स्थित डॉ. ठाकुर ओम प्रकाश सिंह, डॉ. संजय मंडल व डॉ. नमीता कुमारी, डॉ. अंजनी कुमार सिन्हा, शहर के पोस्ट अॉफिस रोड स्थित डॉ सीडी सिंह व डॉ ओम भगत का क्लीनिक बंद पाया गया। रिपोर्टर द्वारा उक्त क्लीनिक में उपस्थित कम्पाउंडर ने ऊंचे लहजे में डॉक्टर साहब के जिले से बाहर होने की बात कह, रिपोर्र्टर के सवाल से अपना पलड़ा झाड़ लिया। वहीं, उक्त क्लिनिक में पहले से इलाज करा रहे मरीजों ने बताया कि डॉक्टर साहब आउट ऑफ स्टेशन हैं, पर्चा पर लिखे दवा को खाते रहने के बात कहकर कम्पाउंडर मरीजों को बेरंग लौटा दे रहे हैं। 

शटर पर चिपका नोटिस

- जिले के अन्य प्रखण्डों की भी यही है बानगी -

बढ़ते संक्रमण के प्रकोप में कमोबेश ये स्थिति जिले के गिद्धौर, सोनो, झाझा, आदि विभिन्न प्रखण्डों में बनी है। जहां सुदूर इलाके के ग्रामीण सर्दी खांसी, बुखार व सामान्य बीमारी के लिए इलाज के पहुंचते वो क्लिनिक में ताला बंद देख बेरंग लौट जाता रहे हैं।

अब यहां विचारणीय है कि, कोविड - 19 जैसी महामारी में जब साधारण रोगों से ग्रस्त मरीजों को ही समुचित रूप से इलाज नहीं मिल पा रहा है, तो गंभीर रूप से ग्रसित मरीजों का क्या होगा, ये सोचकर शहरवासी परेशान हैं। यूं तो डॉक्टर को धरती का भगवान का दर्जा दिया गया है, लेकिन इस महामारी के समय में धरती के भगवान भी मरीजों से पिछा छुड़ाते नजर आ रहे हैं, ऐसी हालत में साधारण मरीज जाए तो कहां, वर्तमान परिदृश्य में ये एक यक्ष प्रश्न बन गया है, जिसका जवाब देने में विभागीय हुक्मरानों ने भी चुप्पी साधी है।

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