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गिद्धौर : शिवलिंग पर गिरी कुल्हाड़ी तो बह निकली खून की धार, जानिए बाबा विकटनाथ से जुड़ा यह रहस्य

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui) | सुशान्त साईं सुन्दरम :
देवाधिदेव महादेव की महिमा अपरंपार है.  गिद्धौर के बाबा विकटनाथ से जुड़ा यह रहस्य हम आज आपको महाशिवरात्रि के अवसर पर बताने जा रहे हैं. कहते हैं कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराना है और यह चंदेल वंशी गिद्धौर महाराज रावणेश्वर प्रसाद सिंह से जुड़ा हुआ है.
यहां का इतिहास काफी रोचक और रहस्यमयी है. मंदिर परिसर के पास आज भी मौजूद पीपल का पेड़ रहस्यमयी वाकये का गवाह है. कहते हैं कि एक समय की बात है, एक लकड़हारा इस पीपल के वृक्ष पर चढ़कर डाल को काट रहा था और तभी उसके हाथ से कुल्हाड़ी शिवलिंग पर जा गिरी. कुल्हाड़ी का गिरना था कि शिवलिंग से खून की धारा बह निकली.
कुल्हाड़ी से खंडित हुए शिवलिंग पर आज भी दरार मौजूद है. तब ही से बाबा विकटनाथ के प्रति लोगों की आस्था और गहरी हो गई.

स्थानीय लोग बताते हैं कि आज भी मंदिर पर छत नहीं डाला गया है. बाकी जितने भी सौंदर्यीकरण के कार्य हुए हैं, वह फर्श पर और नीचे शिवलिंग के चबूतरे पर हुए हैं. लेकिन छत नहीं है. धूप, बरसात, शीतलहर के मौसम में भी भगवान भोलेनाथ का यह शिवलिंग खुले आसमान के नीचे विद्यमान है.
गिद्धौर के लोगों की आस्था बाबा विकट नाथ के प्रति बहुत गहरी है. प्रतिदिन मंदिर की साफ-सफाई कर यहां पूजा की जाती है. लेकिन महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटती है.

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