सोनो/Sono (न्यूज़ डेस्क) :-
भगवान को कीर्तन भक्ति अत्यंत प्रिय है। कीर्तन के कारण संतुष्टि मिलती है। इस कलयुग में भवसागर पार लगने हेतु हरिकीर्तन ही उपाय है। हम जितना कीर्तन करेंगे, विष्णु स्तुति करेंगे, उतने हम भगवान के प्रिय बनेंगे, यह बातें शनिवार को टिहिया में आयोजित हरि कीर्तन के दौरान महंत प्रकाश ने कही। उन्होंने कीर्तन के लक्षण, महत्व व फलोत्पति के संदर्भ में अत्यंत सुंदरता से बताया। कहा कि जप, तप, होम, योग आदि न कर समय निकालकर कीर्तन का आनंद लेने से भी मोक्ष मिल सकता है। कीर्तन से महादोष दूर हो जाते हैं। कीर्तन के कारण उत्तम गति प्राप्त होती है। इससे भगवत प्राप्ति होती है, इसमें कोई संदेह नहीं है। हरिकीर्तन से वाणी शुद्ध एवं पवित्र होती है, चरित्र उत्तम होता और अंत में व्यक्ति भगवद कृपा का पात्र बनता है। उन्होंने बताया कि जीवन अति दुर्लभ और आत्मा अजर अमर। मानव का मन हीं उसे मोक्ष के द्वार तक ले जाता है, क्योंकि मन से की हुई भक्ति से ही मनुष्य को परमात्मा से साक्षात्कार होता है। हरि कीर्तन के श्रवण से बढ़कर इस संसार में कोई ज्ञान, मोक्ष का सरल साधन नहीं है। हर कीर्तन से आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। मौके पर तबला वादक टुनटुन पाण्डेय, वीरू सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।
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