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गिद्धौर : कागजी आकड़ों में बटा रहा पोषाहार, कुपोषण के ग्रहण में हैं लाभार्थी


न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-


एक ओर जहां सरकार ग्रामीण क्षेत्रो में गरीब नौनिहालों में अशिक्षा तथा गर्भवती महिलाओं में कुपोषण को मुक्त करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र के संचालन में पूरी कवायद कर रही है, वहीं पौष्टिक आहार देने वाले इस केंद्र पर बहाल बाल विकास परियोजना के कुछ कर्मियों की लापरवाही के कारण गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्र स्वयं कुपोषण की भेंट चढ़ते नजर आ रहे हैं। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि कोरोना महामारी के इस अवधि में कई लाभार्थी आज भी पोषाहार से वंचित हैं जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं। गिद्धौर प्रखण्ड के लगभग सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पिछले 6 महीना से पोषाहार का वितरण कागजी आंकड़ों पर ही सीमित है।




अब विडम्बना देखिए , कोरोना काल से ही सभी आंगनवाड़ी केंद्र बीते 6 महीने से बंद हैं, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को पोषाहार देना है, पर राशि के अभाव में पोषाहार वितरण पर विराम लग गया है। इससे गरीब दलित और महादलित बच्चों में कुपोषण के शिकार होकर किसी अज्ञात बीमारी से पीड़ित होने की आशंका बढ़ गई है।

वहीं, अपना पक्ष रखते हुए गिद्धौर के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी बबीता कुमारी बताती हैं कि, आंगनबाड़ी सेविका के द्वारा सत्यापित लाभुकों के बीच आईसीडीएस निदेशालय से पोषाहार की राशि वितरण की गई थी। कोरोना काल से विभागीय निर्देशन पर आंगनबाड़ी केंद्र बंद है, पर सेविका द्वारा सत्यापित लाभुकों के बीच पोषाहार लगातार दी जा रही है।

इधर, जानकारों की मानें तो, सरकारी गाइडलाइंस के मुताबिक यदि आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाय तो इससे न सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाया जा सकेगा, बल्कि दलित महादलित एवं गरीब बच्चों को कुपोषण से भी मुक्ति मिल सकेगी, पर सामाजिक अनदेखी एवं विभाग में फैले कथित अनियमितता के कारण पोषाहार का वितरण न होने से सरकार के इस योजना का लाभ जरूरतमंद महादलित समुदाय के नौनिहालों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ रही है।

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