धर्म एवं आध्यात्म | अनूप नारायण :
महंत परमहंस रामचंद्र दास राम मन्दिर आंदोलन के प्रमुख संत व श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष थे। वे सन् ४९ से रामजन्म-भूमि आंदोलन में सक्रिय हुए तथा १९७५ से उन्होने दिगम्बर अखाड़े के महंत का पद संभाला। पूज्य परमहंस रामचन्द्र दास जी महाराज ने अयोध्या में अपनी इस घोषणा से सारे देश में सनसनी फैला दी कि "८ मार्च १९८६ तक श्रीराम जन्मभूमि का ताला नहीं खुला तो मैं आत्मदाह करूंगा।' जिसका परिणाम यह हुआ कि १ फ़रवरी १९८६ को ही ताला खुल गया। आन्दोलन को तीव्र गति से चलाने के लिए सितम्बर, २००२ को केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की लखनऊ बैठक में परमहंस जी की योजना से ही गोरक्ष पीठाधीश्वर महन्त अवैद्यनाथ जी महाराज की अध्यक्षता में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण आन्दोलन उच्चाधिकार समिति का निर्माण हुआ।