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जमुई : मुख्यालय में शिक्षकों ने किया आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन, प्रदेश अध्यक्ष ने भरी हुंकार

न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-
राष्ट्र निर्माण का काम करने वाले शिक्षकों पर दमनात्मक रवैया दिखाने पर सरकार के विरोध में गुरुवार को शिक्षकों ने मुख्यालय में हजारों की संख्यां में एक जुट होकर अपना मोर्चा खोल दिया। बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर हुए इस अभूतपूर्व धरना प्रदर्शन में सरकार के खिलाफ शिक्षकों ने हुंकार भरी।


 शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि सरकार के दमनकारी कार्रवाई से शिक्षक डरने वाले नही है। सरकार के कार्रवाई से शिक्षकों की हड़ताल और उग्र हो चुकी है। आक्रोशपूर्ण धरना में गिद्धौर से 200 शिक्षक, अलीगंज से तकरीबन 150, झाझा से 350 सहित जिले के विभिन्न प्रखंडों से हजारों की संख्या में शिक्षकों ने भाग लिया।


धरना में दहाड़े प्रदेश अध्यक्ष, कहा- यह लड़ाई संवैधानिक है

इस आक्रोशर्पूर्ण धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द कौशल सिंह ने आक्रोशित स्वर में कहा कि सरकार चाहती है कि यहां अंग्रेज साशन चले लेकिन हम और हमारी 4-5 लाख  शिक्षकों की एक जुटता बिहार सरकार के खिलाफ सड़क पर आक्रोशपूर्ण मार्च निकालकर संग्राम को विवश हैं। समान काम - समान वेतन की यह लड़ाई संवैधानिक है। संविधान के  दायरे में ही हम शिक्षक मांग कर रहे है कि सरकार समान काम का समान वेतन, सेवाशर्त, पुरानी पेंशन स्कीम, राज्यकर्मी का दर्जा, नियमित शिक्षकों की भांति सभी सुविधाएं समेत अपने अन्य मांगों की पूर्ति सरकार कर दे। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षक अब प्रण कर चुके हैं कि जबतक उनकी मांग पूरी नहीं होती है तबतक शिक्षक इससे भी उग्र आन्दोलन चलाते हुए हड़ताल को जारी रखेंगे। चाहे इसके लिए 20 दिन, 30 दिन या 100 दिन हमें हड़ताल पर रहना पड़े। प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह ने हुंकार भरते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेतावनी के स्वर में कहा कि यदि आप शिक्षकों का मान-सम्मान और पुराने शिक्षकों की भांति वेतन नहीं देते हैं तो ये चार लाख शिक्षक और उनके परिवार मिलकर आगामी चुनाव में आपकी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।
उन्होंने कहा कि 17 फरवरी से ही आंदोलन तेज है और लगातार जारी है। शिक्षकों के इस बार का आन्दोलन ऐतिहासिक है और सूबे के शत-प्रतिशत विद्यालयों में ताला भी लटका है। इसके जिम्मेवार केवल और केवल सीएम नीतीश कुमार हैं।


- कचहरी चौक पर सड़क जाम कर शिक्षकों ने बनाया विशाल सभा स्थल-

जमुई के कचहरी चौक पर विशाल जनसभा में मौजूद शिक्षकों का कहना था कि वे अपनी मांगों को लेकर अपने परिवार के साथ सड़क से सदन तक जाने की तैयारी में हैं। यह सरकार संवेदनहीन है, पांच साल से सेवा शर्त नहीं बना है। शिक्षक एक ही विद्यालय में असमान वेतन पाकर हीन भावना महसूस कर रहे हैं। समान काम समान वेतन जबतक नहीं मिलेगा, संघर्ष जारी रहेगा।
 मौके पर मौजूद शिक्षक नेता संजीव कौशिक, आर्यन बर्णवाल, राजीव बर्णवाल, पंकज प्रकाश बच्चन, उत्तम कुमार, रवि यादव, जयप्रकाश पासवान,  सहित हजारों शिक्षकों ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार शिक्षकों की हकमारी कर रही है। इससे शिक्षक समुदाय, आश्रितों एवं समाज में आक्रोश व्याप्त है। यदि मांगे अविलंब नहीं मानी गयी तो आंदोलन और तेज होगा।


*- सीएम के नाम सौंपा गया ज्ञापन -*

धरना प्रदर्शन के बाद शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह के नेतृत्व में जिला पदाधिकारी से मिलकर अपनी मांगों को उनके समक्ष रखा। वहीं प्रदर्शन स्थल पर वार्ता के लिए पहुँचे अनुमंडलाधिकारी लखेन्द्र पासवान को समन्वय समिति की ओर से मुख्यमंत्री के नाम से सात सूत्री मांग-पत्र सौंपा गया ।

*- सरकारी नीति के विरोध में लगे नारे, लगा जाम-*

शिक्षकों द्वारा  मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री पर लगाए जा रहे सरकार विरोधी नारे से कचहरी चौक थर्रा गया।शिक्षकों के मार्च के चलते घंटों तक कचहरी चौक पर जाम  लगा रहा। वाहन के पहियों पर ब्रेक लगी दिखी।
 शिक्षकों के जत्था सड़क से हटने के बाद वाहनों का संचालन सुचारू ढंग से शुरू हो सका।


- सीएम को दिए गए मांग पत्र में क्या है शिक्षकों की मांगें -

1) -नियोजित शिक्षकों को पुराने नियमित शिक्षकों की भांति वेतनमान, सेवा शर्त, राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाय

2)-मृत शिक्षकों के आश्रितों को नियम में शिथिलता करते हुए शिक्षक पद पर नियुक्ति किया जाय

3). -पुरानी पेंशन योजना का लाभ सभी शिक्षकों को दिया जाय

4).-सामान्य भविष्य निधि एवं ग्रुप बीमा का लाभ सभी शिक्षकों को दिया

5). -शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया जाय

6).- सभी प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद सृजित करते हुए अविलंब उस पद पर पदस्थापन किया जाय

7).-नव प्रशिक्षित शिक्षकों के वेतन विसंगति को दूर किया जाय और शिक्षकों पर किए गए दमनात्मक कार्रवाई को वापस लेते हुए उपर्युक्त सभी मांगों को शीघ्र पूरी की जाय।