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पटना : भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद की पहली उन्मुखीकरण बैठक संपन्न


पटना [अनूप नारायण] :
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद पटना शाखा की पहली उन्मुखीकरण एवं नए सत्र की बैठक स्थानीय श्रीकृष्णापुरी स्थित कार्यालय परिसर में डॉ० अनीता नारायण की अध्यक्षता में संपन्न हुई I इस बैठक में इस संस्था के उपनिदेशिका माया सिंह, सचिव पूनम वैश्य, कोषाध्यक्ष अरविन्द शर्मा, शिक्षाविद पूनम सिंह, ईला पाठक, उषा ओझा, इस संस्था के सक्रिय सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री सहित दर्जनों महानुभावों ने शिरकत की।

उक्त बैठक में अपनी अध्यक्षीय संबोधन को प्रेषित करते हुए डॉ० अनीता नारायण ने बतायी कि बिहार के एकमात्र संस्थान भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद, पटना शाखा की स्थापना सन 1983 ई० में इनके दादा ससुर निवर्तमान एक्साइज अधिकारी आर० के० नारायण ने की I तभी से यहां समाज के सभी वर्ग के लोगो को ज्योतिष, वास्तु, हस्तरेखा, नाड़ी परीक्षण, ज्योतिष शोध की शिक्षा बखूबी दी जा रही है I इस संस्थान में विशेषकर महिलाओं की सहभागिता अधिक रहती है I वे इससे लोगो को सही मार्गदर्शन और दिशा निर्देश दे रही है I  यहां डॉ० बीo वी० रमण की ज्योतिषीय पुस्तक से हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओ में ज्योतिष की शिक्षा दी जाती है। सचिव पूनम वैश्य ने यजुर्वेद में श्लोक का हवाला देते हुए कही कि जिस प्रकार मोर में शिखा और नागों में मणि, इसी प्रकार वेदांग शास्त्रों में ज्योतिष चोटी पर है I वेद हमारी प्राचीन धरोहर है I ज्योतिष भी वेदों की ही शाखा है I जो हमारे भुत, भविष्य व वर्तमान की सटीक भविष्यवाणी बताता है I उन्होंने आगे बताई कि ज्ञान का आधार सबका अलग-अलग होता है I इसकी गहराई में जाने से से सही पूर्ण जानकारी मिलती है I  सबका साथ सबका विकाश की नीति से ही हम आगे बढ़ सकते है I निरंतर अभ्यास करते रहने से सफलता आपके कदम चूमेगी I इस क्षेत्र में अजीर्ण ज्ञान व आडंबर के कारण समाज के लोगो को सही मार्गदर्शन नहीं मिल रही है। इसीलिए इस संस्थान ने इसकी पहल की है। संस्थान की उपनिदेशिका माया सिंह ने ज्योतिष शिक्षा के सामान्य विषयों के बारे में अवगत कराते हुए बतायी कि इसमें ज्योतिष का सामान्य अध्ययन, ज्योतिषीय इतिहास, कर्म सिध्यांत, वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक महत्व, खगोल शास्त्र (के वो अंश जो ज्योतिष क्षेत्र में आते है), कुंडली के भाव, राशियां, नवग्रह, आंतरिक व बाह्य ग्रह, कुंडली के योग, मुहूर्त, ग्रहो के दशा व दिशा आदि  इसके प्रमुख भाग है I
                                             शिक्षाविद पूनम सिंह ने अपनी संबोधन में कर्म सिध्यांत पर जोर देते हुए बतायी कि ज्योतिष विद्या लौकिक से अलौकिक क्षेत्र की ओर अग्रसर करता है I यह शिक्षा परः विद्या को धारण करने की पात्रता है I सहज भाव व विनम्रता से इस विद्या को धारण किया जा सकता है i इस विद्या की अलौकिक शक्ति से आप दिव्य दृष्टि भी पा सकते है। उषा ओझा ने बैठक को संबोधित करते हुए इस संस्था में होने वाले प्रमाणपत्र स्तरीय डिप्लोमा शिक्षा व पध्दति पर बल देते हुए कही कि यहां विगत 36 वर्षों से ज्योतिषीय शिक्षा दी जा रही है I यहां के छात्र-छात्राएं देश-विदेशो में अपने परचम का लोहा मनवा रहे है I सभी राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में अपनी अमिट छाप छोड़ रहे है I इस संस्थान में ज्योतिष प्रवीण, ज्योतिष विशारद, ज्योतिष कोविद, वाचस्पति आदि की उपाधि दी जाती है। इस बैठक में अपनी उपस्थिति दर्ज करने वालों में अशोक कुमार, राजेश पाठक, गरिमा तिवारी, कुमार भूषण, आलोक अंशु कंठ, मंजू कुमारी, हरिओम मिश्रा, गर्विता गुलशन, अशोक अर्णव, संजय प्रसाद, जुगेश आनंद, प्रमोद आदि प्रमुख थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन इस संस्थान के सक्रिय सदस्य पंडित राकेश झा शास्त्री  ने की I